Mahashivratri:शिव ही आरंभ है और शिव (Lord Shiva) ही अंत। समग्र सृष्टि के कण-कण में शिव तत्व व्याप्त है। ऐसे में मनुष्य जीवन में रहते हुए हमें इस शिव तत्व को समझना होगा। ये तभी संभव है, जबकि हम महादेव भगवान भोले नाथ को समझें, उनके ज्ञान को अपने अंदर डालने का प्रयास करें। बहुत से शिवभक्त कल यानी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर अपने आराध्य की तन-मन और धन से पूजा-अर्चना करेंगे। शास्त्रों में दो प्रकार की शिवरात्रियों का वर्णन किया गया है।
इनमें से एक है शिवरात्रि और दूसरी है महाशिवरात्रि। पंचाग के अनुसार वर्ष भर में 12 शिवरात्रियां आती हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन का सोमवार, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न होते हैं।
Mahashivratri: बहुत विचित्र थी शिव जी की बारात
भोलेदेव कितने भोले हैं और अपने सभी भक्तों पर कृपा करने वाले हैं, इसका पता इनकी कहानियों से चलता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ की बारात में सजे धजे बारातियों की जगह औघड़, भूत, प्रेत, निशाचर, प्रेत और किन्नर थे। कहा जाता है कि जब बारात मां पार्वती के द्वार पर पहुंची तो सभी लोग बारात देखकर स्तब्ध रह गए। वहीं दूल्हे के रूप में महादेव खुद भस्म लिपटाए, बाघ की खाल ओढ़े नंदी की पीठ पर सवार थे। डमरूवाले की लीला समझ पाना मुश्किल है, लेकिन अपने हर भक्त के प्रति उनका स्नेह अपरम्पार है। उनकी महिमा ही निराली है।
Mahashivratri: सावन की शिवरात्रि प्रिय है महादेव को
बात अब हर माह पड़ने वाली शिवरात्रि की करें, तो ये हर माह कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी को पड़ती है, लेकिन इसमें भी भगवान भोले की प्रिय सावन माह की शिवरात्रि है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन समु्द्र मंथन के बाद निकले हलाहल विष को भोले ने अपने कंठ में धारण किया था।
तभी से वे नीलकंठ नाम से भी जाने लगे। कहते हैं कि विष के प्रभाव से जब उनका गला नीला पड़ने लगा, तब उस समय उपस्थित देव और असुरों ने मिलकर शीतल जल उनपर डाला। विष के प्रभाव से ही उनके मुख से बम बम का उदघोष निकला। इसी दिन से शिवलिंग पर गंगा जल एवं जल अर्पित करने का विधान है। कहते हैं कि भोले एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो मात्र बेलपत्र, धतूरे और जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
कांवडि़यों की टोली लाती है गंगाजल
यही वजह है कि इस माह बड़ी संख्या में शिवभक्त हरिद्वार जाकर गंगाजल लेकर आते हैं। श्रावण के माह में कांवडि़ये पैदल चलकर औरडाक कांवड़ के जरिये गंगाजल भरकर लाते हैं। कांवडि़ये नाचते, गाते, उछलते, कूदते हरिद्वार पहुंचकर पूरी आस्था के साथ गंगाजल भरते हैं और अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। ये यात्रा बेहद कठिन और थकाने वाली होती है, बावजूद इसके भोले के भक्त उनके जयकारे लगाकर गंगाजल लाकर इस माह पड़ने वाली शिवरात्रि पर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। उन्हें मनाते हैं और अपने लिए सुख, समृद्धि की कामना करते हैं।
फलाहार खाकर भी रख सकते हैं, व्रत
भोले के व्रत पूरा होने पर भोजन को लेकर नियम कड़े नहीं हैं। जो लोग इस दिन फलाहार करना चाहें,कर सकते हैं। वहीं अगर आपको फल नहीं खाना है, तो दूध के साथ बादाम का सेवन करना भी कर सकते हैं। इस दिन आप सेंधा नमक का सेवन करें। आप कट्टू के आटे की पूड़ी और आलू की सब्जी भी खा सकते हैं। वहीं रोस्टेड मखाना, व्रत के चिप्स या सूखे मेवे का सेवन भी कर सकते हैं।
सोशल मीडिया पर छाई महाशिवरात्रि
शिवरात्रि के निकट आते ही डिजीटल दुनिया में भी भक्तों का अनूठा अंदाज नजर आ रहा है। कोई खुद को भोले का दीवाना, तो कोई भोले की फौज करेगी मौज का संदेश दे रहा है। इसी के साथ बड़ी ही सुंदर कविताएं, शुभकामना संदेश और एचडी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब साझा की जा रहीं हैं।
-नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै ‘न’ काराय नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ! हैप्पी महाशिवरात्रि 2022
– भोलेनाथ की धूम रहे चारों ओर, सब बोलें बम बम मचाएं शोर, तुम भी भज लो हम भी भज लें, ॐ नमः शिवाय गाओ चारों ओर. महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं
– शिव की बनी रहे आप पर छाया, पलट दे जो आपकी किस्मत की काया मिले आपको वो सब अपनी ज़िन्दगी में, जो कभी किसी ने भी न पाया. ॐ नमः शिवाय ! हैप्पी महाशिवरात्रि 2022
– जिस समस्या का ना कोई उपाय उसका हल ॐनमःशिवाय. महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई
– सारा जहां है जिसकी शरण में, नमन है उस शिव जी के चरण में, बनें उस शिवजी के चरणों की धूल, आओ मिलकर चढ़ाएं हम श्रद्धा के फूल. हैप्पी महाशिवरात्रि
– आज जमा लो भांग का रंग, आपकी जिंदगी बीते खुशियों के संग, भगवान भोले की कृपा बसरे आप पर, जीवन में भर जाये नयी उमंग. महाशिवरात्रि की बधाई !
– कर्ता करे न कर सके, शिव करे सो होय, तीन लोक नौ खंड में, महादेव से बड़ा न कोय ॐनमःशिवाय ! महाशिवरात्रि का पर्व आप सभी के लिए खुशियां लेकर आए।
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