Govardhan Puja 2024: दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा को बहुत ही विशेष माना जाता है। दिवाली के ठीक एक दिन बाद गोवर्धन मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा दिन शनिवार, 2 नवंबर को की जाएगी। इस दिन को इंद्र देव पर श्रीकृष्ण की विजय के रूप में मनाया जाता है। गोवर्धन के शुभ दिन पर लोग अपने-अपने घरों में गोबर और अनाज से कृष्ण भगवान और गोवर्धन पर्वत को बनाते हैं। जिनकी शुभ मुहूर्त के दौरान विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही प्रभु के प्रिय भोग अर्पित किए जाते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाएं जाते हैं और अन्नकूट का भोग लगाते हैं। गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में की थी। इस पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। जानते हैं गोवर्धन पूजा के दिन क्या करते हैं?
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन उत्तर भारत, विशेषकर मथुरा क्षेत्र में बहुत ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था। जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों के बचाव के लिए अपनी तर्जनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत पर उठा लिया था। इसके बाद सभी ब्रजवासी अपने जानवरों को लेकर पर्वत के नीचे आ गए, जिससे उनका इंद्रदेव के क्रोध से बचाव हुआ। इसके बाद ब्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की और भोग अर्पित किए। तभी से हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा 2024
- पंचांग के अनुसार, 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट से होगी।
- इसका समापन 02 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा।
- ऐसे में गोवर्धन पूजा का त्योहार 02 नवंबर को मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-
- प्रातःकाल मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 34 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट तक।
- विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से लेकर 02 बजकर 56 मिनट तक।
- संध्याकाल मुहूर्त – दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक।
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 05 मिनट से लेकर 06 बजकर 30 मिनिट तक।
- त्रिपुष्कर योग- रात्रि 08 बजकर 21 मिनट तक 3 नवंबर को सुबह 05 बजकर 58 मिनट तक।