Ganesh Chaturthi 2021: 1893 में गणेश उत्सव की हुई थी शुरुआत, पहली बार शूद्रों ने किया था बप्पा का दर्शन

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गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त

Ganesh Chaturthi 2021: महज 2 दिन बाद चारों तरफ गणपी बप्पा मोरया , मंगल मूर्ति मोरया का नारा गूंजेगा। 10 सितंबर (10 September) से गणेश चतुर्थी है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहते हैं क्योंकि गौरी नंदन गणेश भगवान के अनेकों नाम हैं। बात गणेश चतुर्थी की हो रही है तो यहां पर बताएंगे की इस त्योहार की शुरुआत कैसे और कब हुई है।

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गणेश चतुर्थी की शुरुआत महाराष्ट्र के पुणे जिले से हुई थी। इतिहास के पन्नों में झांक कर देखें तो पुणे में कस्बा गणपति नाम से प्रसिद्ध गणपति की स्थपना शिवाजी महाराज की मां जीजीजाबाई ने की थी। परंतु इस त्योहार को बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक ने जो रूप दिया उससे गणेश उत्सव राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया।

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कहते हैं तिलक के प्रयासों से पहले गणेश पूजा परिवारों तक ही समीती थी। पूजा के साथ साथ गणेश उत्सव को आजादी की लड़ाई में भी शामिल किया गया साथ ही छुआछूत दूर करने और समाज को संगठित करने तथा आम आदमी का ज्ञानवर्धन करने का उसे जरिया बनाया और उसे एक आंदोलन का स्वरूप दिया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

गणपी बप्पा मोरया

1893 में जब बाल गंगाधर जी ने सार्वजानिक गणेश पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मों को एक साझा मंच देने का था जहा सब बैठ कर मिल कर कोई विचार कर सकें।

TILAK

ब्रिटिश राज में एक साथ मिलकर किसी मुद्दे पर वार्ता करना मुमकिन नहीं था। गणेश उत्सव ही ऐसा मंच था जहां पर सभी लोग जमा होते थे और आजादी को लेकर विचार विमर्श किया जाता था।

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गणेश उत्सव पहला मौका था जब शूद्र जाती के लोगों ने पहली बार गणेश की प्रतिमा को अपनी आंखों स देखा। पहली बार शूद्रों ने किसी भगवान की प्रतिमा को सामने से हाथ भी लगाया। क्योंकि उस समय शूद्रों के मंदिरों में जाने की इजाजत नहीं थी।

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उत्सव् के बाद जब प्रतिमा को वापस मंदिर में स्थापित किया जाने लगा (जैसा की पेशवा करते थे मंदिर की मूर्ति को आँगन में रख के सार्वजानिक पूजा और फिर वापस वही स्थापना)तब यब तय किया गया कि पूजा गृह की मूर्ति बाहर न निकाली जाए।

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अगले वर्ष से पार्थिव गणेश बनाये जाए फिर उनका चल समारोह पूर्वक विसर्जन किया जाए। तब से मूर्ति पोज से मूर्ति विसर्जन शुरू हो गया या अब काफी फैल गया है इस में केवल महाराष्ट्र में ही 50 हजार से ज्यादा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल है।

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गणेश उत्सव महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों में मनाया जाता है।

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