दशहरा का पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। विजयादशमी का दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को समर्पित है। दशहरा पर भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है और रावण दहन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, दशहरा के दिन स्नान के बाद विधिपूर्वक भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है और और गरीबों और जरूरमंदों को दान दिया जाता है।
दशहरा के दिन रोग से मुक्ति पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ जरूर करें। एक नारियल हाथ में रखकर हनुमान चालीसा का दोहा नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमान बीरा पड़कर रोगी के सिर के ऊपर से नारियल सात बार घुमाएं और नारियल को रावण दहन में फेंक दें। हर तरह की बीमारी खत्म हो जाएगी।
कारोबार में उन्नति पाने के लिए दशहरे के दिन पीले वस्त्र में नारियल, मिठाई और साथ ही जनेऊ किसी ब्राह्मण को दान करें। ऐसा करने से आर्थिक लाभ पहुंचता है और कारोबार में तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं।
यदि आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती है तो शमी पेड़ के नीचे तिल के तेल का 11 दीपक जलाएं। इससे शनि की साढ़ेसाती से काफी हद तक राहत मिलेगी।
सबसे बड़ा दान गुप्त दान होता है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि दशहरे के दिन गुप्त तरीके सें किसी भी ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र या रुपए दान करें। इस तरह का दान बहुत ही शुभ माना जाता है।
धन हानि अधिक हो रही है तो दशहरे के दिन किसी मंदिर में झाड़ू का दान अवश्य कर दें, ऐसा करने से सभी आर्थिक परेशानियां समाप्त हो जाएंगी।
विजयदशमी के दिन नीलकण्ठ नामक पक्षी के दर्शन अत्यन्त शुभ माने जाते हैं। जिस व्यक्ति को इस दिन नीलकण्ठ पक्षी के दर्शन हो जाएं, तो उसका यह वर्ष आर्थिक समृद्धि, सम्पन्नता, आरोग्य में व्यतीत होता है।