स्मारक बनाने के नियम: नेताओं के अंतिम संस्कार और समाधि स्थल को लेकर प्रक्रिया क्या है?

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नेताओं के अंतिम संस्कार और समाधि स्थल को लेकर प्रक्रिया क्या है?
नेताओं के अंतिम संस्कार और समाधि स्थल को लेकर प्रक्रिया क्या है?

दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर चल रही सियासत ने समाधि स्थलों के नियमों और प्रक्रियाओं को फिर से चर्चा में ला दिया है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि सरकार उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए उचित स्थान देने में असफल रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आग्रह किया था कि जहां अंतिम संस्कार हो, वहीं स्मारक बने। हालांकि, सरकार का रुख अलग है। गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि स्मारक जरूर बनेगा, लेकिन इसमें समय लगेगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि देश में पूर्व प्रधानमंत्रियों और अन्य महान नेताओं के स्मारक बनाने की प्रक्रिया क्या है।

किन लोगों को समाधि स्थल की पात्रता मिलती है?

दिल्ली में समाधि स्थल निर्माण के लिए भारत सरकार ने स्पष्ट नियम और प्रक्रियाएं तय की हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल चुनिंदा और राष्ट्रीय महत्व के व्यक्तित्वों को ही यह सम्मान मिले।

आमतौर पर समाधि स्थल निम्नलिखित श्रेणियों के व्यक्तियों के लिए बनाए जाते हैं:

  • भारत के राष्ट्रपति: देश के प्रमुख के रूप में, राष्ट्रपति को समाधि स्थल मिलना तय होता है।
  • भारत के प्रधानमंत्री: कार्यकारी प्रमुख होने के नाते, प्रधानमंत्रियों को भी यह सम्मान दिया जाता है।
  • उप-प्रधानमंत्री: यदि देश में उप-प्रधानमंत्री पद है और उन्होंने देश के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया हो, तो उन्हें भी समाधि स्थल मिल सकता है।
  • अन्य राष्ट्रीय महत्व के व्यक्तित्व: स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, या वे व्यक्ति जिन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो, इस श्रेणी में शामिल होते हैं।

सरकार की मंजूरी क्यों आवश्यक है?

केंद्र सरकार यह निर्णय करती है कि किसी दिवंगत नेता को समाधि स्थल दिया जाएगा या नहीं। यह भी सरकार ही तय करती है कि समाधि स्थल राजघाट परिसर में बनेगा या किसी अन्य स्थान पर। राजघाट राष्ट्रीय महत्व का स्थान है और दिल्ली में स्थित है। समाधि स्थलों के लिए आमतौर पर राजघाट और उसके आसपास की जगहों का चयन किया जाता है। हालांकि, राजघाट में सीमित स्थान होने के कारण, केवल चुनिंदा और राष्ट्रीय महत्व के नेताओं को ही यहां समाधि स्थल मिलता है।

राजघाट का प्रबंधन और निर्णय प्रक्रिया

राजघाट और उससे जुड़े समाधि स्थलों का प्रबंधन राजघाट क्षेत्र समिति के अधीन होता है। यह समिति संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है। समाधि स्थल बनाने का फैसला लेते समय समिति निम्नलिखित बातों पर ध्यान देती है:

स्थान की उपलब्धता

  • व्यक्ति का देश के प्रति योगदान
  • वर्तमान नीतियां और प्रोटोकॉल
  • यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि केवल वही व्यक्ति समाधि स्थल के योग्य हों, जिन्होंने देश के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया हो।

वर्तमान विवाद की स्थिति

डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर चल रहे विवाद ने एक बार फिर समाधि स्थलों के नियमों और सरकारी प्रक्रियाओं को सवालों के घेरे में ला दिया है। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर क्या फैसला करती है।