उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी आदित्यनाथ सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए चार अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है, जबकि तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में स्थायी कटौती का आदेश जारी किया गया है। यह कार्रवाई समाज कल्याण विभाग से जुड़े पुराने मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने के बाद की गई है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “शून्य सहिष्णुता” नीति के तहत लिया गया है। सरकार ने न केवल संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं, बल्कि उनसे गबन की गई धनराशि की वसूली भी की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, जिन अधिकारियों को बर्खास्त किया गया है उनमें पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी मीना श्रीवास्तव (श्रावस्ती), करुणेश त्रिपाठी (मथुरा), संजय कुमार ब्यास (हापुड़) और राजेश कुमार (शाहजहांपुर) शामिल हैं।
छात्रवृत्ति और पेंशन राशि में गबन का मामला
आरोप है कि मीना श्रीवास्तव ने लाभार्थियों के डेटा में हेरफेर कर छात्रवृत्ति की रकम का दुरुपयोग किया। वहीं, करुणेश त्रिपाठी और संजय कुमार ब्यास पर आरोप है कि उन्होंने करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति राशि को गैर-मान्यता प्राप्त निजी संस्थानों में ट्रांसफर किया। राजेश कुमार पर पेंशन योजनाओं के तहत लाभार्थियों के बैंक खातों में हेरफेर कर रकम अपात्र व्यक्तियों तक पहुंचाने का आरोप सिद्ध हुआ।
सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में कटौती और वसूली की तैयारी
सरकार ने सेवानिवृत्त अधिकारियों श्रीभगवान (औरैया), विनोद शंकर तिवारी (मथुरा) और उमा शंकर शर्मा (मथुरा) की पेंशन में 10% से 50% तक की स्थायी कटौती का निर्णय लिया है। साथ ही, इनसे करोड़ों रुपये के वित्तीय नुकसान की वसूली की भी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पुराने लंबित मामलों को फिर से खोला जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर नई एफआईआर दर्ज की जाएगी।









