मिशन-27 और PDA की चुनौती, यूपी BJP अध्यक्ष के चयन पर मंथन तेज

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मिशन-27 और PDA की चुनौती, यूपी BJP अध्यक्ष के चयन पर मंथन तेज
मिशन-27 और PDA की चुनौती, यूपी BJP अध्यक्ष के चयन पर मंथन तेज

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए नामांकन की प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है। दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सियासी हलचल अपने चरम पर है। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों से सबक ले चुकी बीजेपी अब पूरी तरह 2027 के विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रही है। पार्टी इस बार ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहती जिससे यह लगे कि प्रदेश संगठन को लेकर भीतरखाने असहमति है।

बीजेपी की कोशिश है कि उत्तर प्रदेश को ऐसा अध्यक्ष मिले जो एक तरफ मिशन-27 को मजबूती दे और दूसरी ओर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को प्रभावी ढंग से काउंटर कर सके।

PDA की काट की रणनीति

अखिलेश यादव ने 2024 के चुनाव में PDA राजनीति के जरिए बीजेपी को नुकसान पहुंचाया था। इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने इस सामाजिक समीकरण का जवाब तैयार किया है। इस रणनीति में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का नाम प्रमुखता से उभर रहा है।

पंकज चौधरी कुर्मी समाज से आते हैं, जो उत्तर प्रदेश में यादवों के बाद सबसे बड़ी पिछड़ी जाति मानी जाती है। पार्टी मानती है कि कुर्मी नेतृत्व को आगे बढ़ाकर पिछड़ा वर्ग में एक मजबूत संदेश दिया जा सकता है और PDA की धार को कुंद किया जा सकता है।

कुर्मी-यादव समीकरण और 2024 का अनुभव

यूपी की राजनीति में कुर्मी और यादव का गठजोड़ समाजवादी पार्टी की ताकत रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कुल 11 कुर्मी सांसद जीतकर संसद पहुंचे, जिनमें सबसे अधिक समाजवादी पार्टी से थे। सपा ने 12 कुर्मी उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 7 विजयी रहे। वहीं बीजेपी ने 5 कुर्मी प्रत्याशी मैदान में उतारे, जिनमें 3 को सफलता मिली। इसके अलावा अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल भी चुनाव जीतने में कामयाब रहीं।

इन्हीं आंकड़ों के आधार पर बीजेपी अब संगठन स्तर पर पिछड़ी जातियों को साधने की नई कोशिश कर रही है।

2027 की तैयारी और संगठन की भूमिका

403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 2027 का चुनाव बीजेपी के लिए बेहद अहम है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में पार्टी को ऐसा प्रदेश अध्यक्ष चाहिए जो संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करे और 2024 में हुई रणनीतिक चूकों की पुनरावृत्ति न होने दे। बीजेपी की नजर महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों की तरह बड़े जनादेश पर है।

प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में अन्य नाम

पंकज चौधरी के अलावा भी कई वरिष्ठ नेताओं के नाम चर्चा में हैं—

  • धर्मपाल सिंह: योगी सरकार में मंत्री, RSS पृष्ठभूमि, लोधी समाज से आते हैं और संगठन-सरकार दोनों में अनुभव रखते हैं।
  • बी एल वर्मा: केंद्र में उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री, दो कार्यकाल से मोदी सरकार का हिस्सा, राज्यसभा सांसद।
  • हरीश द्विवेदी: बस्ती से सांसद रह चुके हैं, यूपी बीजेपी के प्रमुख ब्राह्मण चेहरों में गिने जाते हैं, संगठनात्मक अनुभव लंबा है।
  • गोविंद शुक्ला: यूपी बीजेपी के महामंत्री, वर्तमान में विधान परिषद सदस्य, गोरखपुर के प्रभारी और प्रभावशाली ब्राह्मण नेता।

अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि बीजेपी मिशन-27 और PDA की चुनौती से निपटने के लिए किस चेहरे पर भरोसा जताती है।