तमिलनाडु सरकार एक बार फिर NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) के खिलाफ कानूनी मोर्चा खोलने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में यह फैसला लिया गया कि राज्य को NEET से मुक्त कराने के लिए हर वैधानिक कदम उठाया जाएगा। इसके तहत केंद्र सरकार और राज्यपाल के रुख को चुनौती देते हुए जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दाखिल की जाएगी।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री स्टालिन ने स्पष्ट किया कि NEET कोई ऐसी परीक्षा नहीं है जिससे राज्य किनारा नहीं कर सकता। उन्होंने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने के बजाय राजनीतिक मंशा से काम किया और राज्य विधानसभा द्वारा पारित एंटी-NEET बिल को राष्ट्रपति के पास भेजने में देरी की।
डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने बैठक में यह प्रस्ताव पेश किया जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिली। प्रस्ताव में कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार NEET के खिलाफ कानूनी लड़ाई को मजबूती से आगे बढ़ाएगी। सरकार का यह भी कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा बिल को मंजूरी देने से इनकार करने के बावजूद, यह संघर्ष अब और भी दृढ़ता से जारी रहेगा।
सरकार की योजना है कि इस मामले में कानूनी जानकारों से सलाह ली जाए और सभी संभावित विकल्पों पर विचार किया जाए। इनमें सुप्रीम कोर्ट में दोबारा याचिका दायर करना और एंटी-NEET बिल को मंजूरी न मिलने के फैसले को चुनौती देना शामिल है।
तमिलनाडु पहले भी 2023 में NEET के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था। अब यह नया प्रयास राज्य सरकार की उस प्रतिबद्धता को दोहराता है, जिसके तहत वह छात्रों को राहत दिलाने के लिए हर संभव रास्ता अपनाना चाहती है।