महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट ने पार्टी के 26वें स्थापना दिवस के मौके पर स्पष्ट किया कि शरद पवार खेमे से पुनः जुड़ने की कोई योजना फिलहाल नहीं है। इसी विषय पर जब सुप्रिया सुले से सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब देने से बचना ही बेहतर समझा।
गौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना वर्ष 1999 में शरद पवार ने की थी। हालांकि साल 2023 में पार्टी दो हिस्सों में बंट गई, जब अजित पवार ने शिवसेना-बीजेपी गठबंधन की सरकार में शामिल होकर अलग रास्ता अपना लिया।
इस बार स्थापना दिवस के अवसर पर दोनों गुटों ने पुणे में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए। अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि एनडीए में शामिल होने का फैसला सामूहिक था, न कि सिर्फ अजित पवार का निजी निर्णय।
एनडीए में जाना पार्टी के हित में था – सुनील तटकरे
सुनील तटकरे ने कहा, “यह फैसला अकेले अजित पवार का नहीं था। 2014 के बाद से कई बार पार्टी के भीतर यह मंथन हुआ कि बीजेपी के साथ गठबंधन किया जाए। हर बार अंतिम समय में निर्णय बदल दिया गया। लेकिन 2023 में हमने लोगों के हित में यह कदम उठाया।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पार्टी ने अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से कोई समझौता नहीं किया है। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी की राजनीति अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आगे बढ़ेगी।
निचले स्तर पर नहीं होते ऐसे फैसले – अजित पवार
अविभाजित एनसीपी के 26वें वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम में अजित पवार ने स्पष्ट किया कि दोनों गुटों के विलय पर निर्णय लेना कार्यकर्ताओं का नहीं, बल्कि नेतृत्व का काम होता है। उन्होंने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि केवल विरोध करना ही राजनीति नहीं होती – “हम कोई संत नहीं हैं जो विपक्ष में बैठकर खुद को संतुष्ट समझें। हम काम करने आए हैं।”
सुप्रिया सुले ने दिया कूटनीतिक जवाब
वहीं दूसरी ओर, एनसीपी (शरद पवार) गुट की नेता सुप्रिया सुले ने पुणे में आयोजित कार्यक्रम में इस संभावित विलय पर कोई टिप्पणी नहीं की। जब उनसे पूछा गया कि क्या दोनों पक्ष फिर एक साथ आ सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी और पारिवारिक मामलों में व्यस्तता के चलते इन विषयों पर बात करने का अवसर ही नहीं मिला।
हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सुले ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करते हुए विदेशों का दौरा किया था, जहां उन्होंने भारत का पक्ष रखा।
हमने विचारधारा नहीं बेची – अजित पवार का दो टूक
अजित पवार ने कहा कि एनसीपी की नींव छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, बाबा साहब अंबेडकर और शाहू महाराज की विचारधाराओं पर रखी गई थी। उन्होंने 2019 में शिवसेना के साथ हुए गठबंधन की भी याद दिलाई, यह दर्शाते हुए कि राजनीति में समझौते कोई नई बात नहीं।
उन्होंने दोहराया कि पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन करते समय अपनी विचारधारा से कोई समझौता नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी कार्यकर्ताओं की राय भिन्न भी हो, तो अंतिम निर्णय नेतृत्व को ही लेना होता है।
शरद पवार की प्रतिक्रिया – विचारधारा से जुड़े रहें
शरद पवार ने भी अपने कार्यक्रम में कहा कि कुछ लोग भटक गए और दूसरी विचारधाराओं के साथ चले गए, जिससे पार्टी में दरार आई। हालांकि उन्होंने कहा कि जो लोग अब भी पार्टी से जुड़े हैं, वे विचारधारा के प्रति ईमानदार हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने की अपील करते हुए कहा, “कौन आया, कौन गया – इस पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं। अगर हम जनता के साथ मजबूती से खड़े हैं, तो हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।”