सीजफायर पर गरमाई सियासत, राहुल गांधी के बयान पर BJP का तीखा प्रहार, संबित पात्रा बोले– क्या आप चीन-पाकिस्तान के ‘पेड एजेंट’ हैं?

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भारतीय सेना द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल अभियान के बाद पाकिस्तान के साथ घोषित सीजफायर पर राजनीति तेज़ हो गई है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर सीधे-सीधे सवाल खड़े किए हैं, जिसके जवाब में भाजपा सांसद संबित पात्रा ने अपने एक्स अकाउंट से वीडियो पोस्ट के जरिए तीखा पलटवार किया है।

भाजपा का पलटवार: संबित पात्रा ने राहुल गांधी को बताया “पेड एजेंट”

राहुल गांधी के इन बयानों पर पलटवार करते हुए भाजपा सांसद डॉ. संबित पात्रा ने उन्हें आड़े हाथों लिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “भारत ने कभी आतंक के खिलाफ सरेंडर नहीं किया। जो व्यक्ति मातृभूमि के लिए ‘सरेंडर’ जैसे शब्दों का उपयोग करे, वह कभी राष्ट्रभक्त नहीं हो सकता।”

उन्होंने आगे सवाल उठाते हुए कहा, “मुझे तो शक है कि राहुल गांधी कहीं चीन और पाकिस्तान के पेड एजेंट तो नहीं हैं!”

राहुल गांधी का आरोप: BJP-RSS को सरेंडर की आदत

मंगलवार (3 जून 2025) को भोपाल में एक जनसभा के दौरान राहुल गांधी ने कहा, “BJP और RSS वालों को सरेंडर की आदत है। अगर देश में कांग्रेस की सरकार होती, तो कभी सरेंडर नहीं होता।”

उन्होंने आरोप लगाया कि जब भारत ने सैन्य रूप से पाकिस्तान पर दबाव बनाया था, तभी यह मौका था निर्णायक कार्रवाई का। मगर सीजफायर की घोषणा कर केंद्र सरकार ने अपनी नीति से पीछे हटकर रणनीतिक चूक की।

ट्रंप कॉल का जिक्र, मोदी सरकार पर निशाना

राहुल गांधी ने अपने भाषण में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी लिया। उन्होंने कहा, “ट्रंप का फोन आया और नरेंद्र मोदी जी तुरंत सरेंडर हो गए। BJP-RSS का करैक्टर ही है कि ये हमेशा झुकते हैं।”

हालांकि भारत सरकार पहले ही ट्रंप के कथित हस्तक्षेप को खारिज कर चुकी है, लेकिन राहुल के इस बयान ने नए विवाद को जन्म दे दिया है।

“RSS-BJP पर दबाव डालो, ये भाग जाते हैं” – राहुल

राहुल गांधी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा,“मैं RSS-BJP को अच्छी तरह समझता हूं। थोड़ा दबाव पड़ते ही ये डर जाते हैं। ट्रंप के इशारे पर मोदी जी ने फैसले लिए। आज़ादी के समय से ही ये लोग आत्मसमर्पण पत्र लिखते आए हैं।”

भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर शुरू हुआ यह विवाद अब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का रूप ले चुका है। कांग्रेस जहां सरकार की रणनीति पर सवाल उठा रही है, वहीं भाजपा विपक्ष पर राष्ट्रविरोधी बयानबाज़ी का आरोप लगा रही है।

आगामी सत्र और चुनावी रणनीतियों में यह मुद्दा और अधिक तूल पकड़ सकता है।