बिहार में बीपीएससी परीक्षा को लेकर चल रहे विवाद ने नया मोड़ लिया है। पिछले पांच दिनों से आमरण अनशन पर बैठे जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी है। गले में दर्द और डिहाइड्रेशन की समस्या के कारण उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया है। अस्पताल पहुंचने के बाद उनके स्वास्थ्य की जांच की जा रही है, और डॉक्टरों ने उन्हें पूरी तरह से इलाज कराने की सलाह दी है। हालांकि, प्रशांत किशोर ने यह स्पष्ट किया है कि उनका अनशन जारी रहेगा।
प्रशांत किशोर ने गांधी मैदान में बीपीएससी परीक्षा के विरोध में आमरण अनशन शुरू किया था, जिसके बाद यह मुद्दा राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से गंभीर बन गया। इस अनशन में उनका साथ देने के लिए कई कार्यकर्ता भी शामिल हुए थे, और वे लगातार सरकार से बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे थे। इस मुद्दे पर राज्य सरकार के साथ-साथ प्रशासन भी अचंभित है क्योंकि यह प्रदर्शन न केवल शैक्षिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है।
रात को प्रशांत किशोर की तबीयत बिगड़ने पर मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अजीत प्रधान की टीम उनके घर पहुंची थी। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को गंभीर पाया और तुरंत उन्हें अस्पताल जाने की सलाह दी। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी जांच शुरू कर दी गई है। चिकित्सकों का मानना है कि डिहाइड्रेशन और गले में दर्द के कारण उनकी स्थिति नाजुक हो सकती है। हालांकि, प्रशांत किशोर ने यह साफ कर दिया है कि उनका अनशन जारी रहेगा और वे बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
सोमवार को प्रशांत किशोर को गांधी मैदान से गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई। जमानत मिलने के बाद उन्होंने अपने घर पर फिर से अनशन शुरू कर दिया था। उनका अनशन राज्य सरकार के खिलाफ तीव्र विरोध का प्रतीक बन गया है और इससे बिहार की राजनीतिक हवा में बदलाव की संभावना को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं।
जन सुराज पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि यह मामला गांधी मैदान में ही सुलझेगा। यह संकेत दे रहा है कि प्रशांत किशोर किसी भी हाल में इस आंदोलन को शांत नहीं होने देना चाहते हैं। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि वे जल्द ही गांधी मैदान में फिर से अनशन शुरू कर सकते हैं।
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि उनका अनशन केवल उनका व्यक्तिगत संघर्ष नहीं है, बल्कि यह बिहार के युवाओं की आवाज़ है। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वे इस आंदोलन में उनके साथ खड़े रहें। उनका यह आंदोलन बीपीएससी परीक्षा के सवाल से कहीं आगे बढ़ चुका है और अब यह युवाओं के भविष्य को लेकर एक बड़े सवाल के रूप में उभरा है।
इसके अलावा, प्रशांत किशोर ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि बीपीएससी परीक्षा को लेकर सरकार से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो वे इस मुद्दे को उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे। उन्होंने युवा संघर्ष समिति के साथ मिलकर इस मुद्दे को और तेज करने की योजना बनाई है और कोर्ट में याचिका दायर करने का भी संकेत दिया है।
इस संघर्ष ने राज्य की राजनीति में एक नई दिशा दी है और देखना यह होगा कि क्या प्रशांत किशोर का यह आंदोलन सरकार को कोई बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर कर पाएगा या नहीं।