BIHAR ELECTIONS 2025: बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियां मजबूत करनी शुरू कर दी हैं। महागठबंधन और NDA दोनों ही गुट मतदाताओं को साधने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने मिशन बिहार की तैयारी का खाका खींच लिया है।
सूत्रों के मुताबिक, गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार के आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। इस रणनीति का केंद्र तीन बिंदुओं पर रखा गया है—महिला, मोदी और मंदिर। इसे पार्टी का “ट्रिपल प्वाइंट एजेंडा” बताया जा रहा है।
BJP की ‘ट्रिपल प्वाइंट’ रणनीति
- महिला:
बीजेपी का मानना है कि महिलाओं का वोट बैंक निर्णायक साबित हो सकता है। पार्टी कार्यकर्ताओं को महिलाओं से सीधे जुड़ने और केंद्र सरकार की योजनाओं—जैसे उज्ज्वला योजना, जनधन खातों, आयुष्मान भारत और महिला सुरक्षा अभियानों—को गांव-गांव तक पहुंचाने का निर्देश दिया गया है। भाजपा महिला मतदाताओं को यह संदेश देना चाहती है कि उनके सशक्तिकरण और कल्याण के लिए पार्टी लगातार काम कर रही है। - मोदी:
बिहार चुनाव में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को हथियार बनाएगी। शाह ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि मोदी के नेतृत्व, उनके काम और देश-विदेश में बढ़ती भारत की प्रतिष्ठा को जनता तक पहुंचाया जाए। मोदी की छवि को “गारंटी” की तरह पेश किया जाएगा ताकि वोटरों में विश्वास पैदा हो सके। - मंदिर:
धार्मिक भावनाओं को साधना भी बीजेपी की रणनीति का अहम हिस्सा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को “हिंदू आस्था की जीत” के रूप में प्रचारित किया जाएगा, वहीं सीतामढ़ी के माता जानकी मंदिर के विकास कार्यों को भी प्रमुखता से रखा जाएगा। पार्टी का मानना है कि यह मुद्दे ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाकों में मतदाताओं को प्रभावित करेंगे।
चुनावी तैयारी और अन्य बिंदु
अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को यह भी निर्देश दिया है कि वे महागठबंधन की रणनीति का जवाब “घुसपैठिया” जैसे मुद्दों को उठाकर दें। इसके अलावा, मतदाता सूची के विशेष संशोधन (SIR) को लेकर जनता में जागरूकता फैलाने पर भी जोर दिया गया है।
पार्टी स्तर पर गांवों में मोटरसाइकिल यात्राएं निकालने, पंचायत चुनावों में हारने वाले उम्मीदवारों से संपर्क साधने और संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने की तैयारी की जा रही है।
साथ ही, शाह ने NDA के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चर्चा पर जोर दिया है। बीजेपी चाहती है कि इस बार चुनावी समीकरण जल्दी तय हों ताकि प्रचार अभियान समय रहते पूरी ताकत से शुरू किया जा सके।
क्या यह रणनीति कारगर होगी?
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या BJP की “महिला, मोदी और मंदिर” वाली यह ट्रिपल प्वाइंट रणनीति बिहार में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने में मददगार साबित होगी?
महागठबंधन पहले से ही बेरोजगारी, महंगाई और जातिगत समीकरणों को लेकर सरकार और बीजेपी पर हमलावर है। वहीं, बीजेपी अपनी रणनीति में विकास योजनाओं और धार्मिक मुद्दों का मिश्रण कर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।
फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि बिहार की जनता किसे चुनेगी, लेकिन इतना तय है कि आने वाले चुनाव एक बार फिर राजनीतिक समीकरणों का बड़ा इम्तिहान साबित होंगे। NDA और INDIA गठबंधन दोनों की रणनीतियां अब खुलकर सामने आ रही हैं और असली तस्वीर चुनावी मैदान में ही साफ होगी।