योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अचानक से भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण पर लगी रासुका हटा कर उन्हें जेल से रिहा कर सबको चौंका दिया है । रावण की रिहाई के साथ यह चर्चा उठ खड़ी हुई है कि बीजेपी से उन्होंने कोई सौदा किया है । वैसे भी मायावती हमेशा से रावण को आरएसएस का एजेंट बताती रही है। लेकिन भीम आर्मी के इस युवा नेता में मायावती को लेकर कोई दुर्भावना नहीं है । वह मायावती को अपनी बुआ मानता है और कहता है कि जिस तरह वह दलित समाज के लिए सामाजिक लड़ाई लड़ रह है उसी तरह मायावती उसी समाज के लिए राजनीतिक लड़ाई लड़ रही है ।
बीजेपी से कथित डील की चर्चा को सिरे से खारिज करते हुए चंद्रशेखर रावण ने कहा कि मुझे लेकर लोग क्या चर्चा कर रहे हैं, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता । उन्होंने कहा कि पिछले 16 महीनों में मैंने जो कुछ झेला है वह मैं हीं समझ सकता हूं। बीजेपी ने पॉलिटिकल माइलेज और भ्रम फैलाने के लिए मुझे एक दिन पहले रिहा कर दिया। क्या बीजेपी मेरे 16 महीने लौटा सकती है ?
रावण बताते हैं कि उसके परिवार को भी केस लड़ने के दौरान आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा , लेकिन मेरे समाज ने मुझे काफी प्यार दिया. हाईकोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट लोगों ने मेरी काफी मदद की, यहां तक कि मुझे ठीक से पता भी नहीं कि ये सब कैसे निपट गया. अगर मुझे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के बल पर ये सब करना पड़ता तो अब तक मेरा घर बिक चुका होता. समाज ने मेरी जो मदद की मैं उसके लिए उनका कर्ज़दार हूं और अब उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा.
मायावती बेशक रावण को RSS का एजेंट कहती हों लेकिन वह मायावती को बुआजी मानता है। रावण का कहना है कि उनकी रगों में वही खून है जो मेरी रगों में दौड़ रहा है। मैं जेल में बंद था मुझे नहीं पता बुआजी ने क्या कह दिया, हो सकता है कुछ नाराजगी हो या हो सकता है। वो राजनीतिक लड़ाई लड़ रही हैं और मैं सामाजिक लड़ाई लड़ रहा हूं।
भीम आर्मी के बसपा का समर्थन करने के मुद्दे पर रावण का कहना है कि भीम आर्मी एक सामाजिक संगठन है और फ़िलहाल बसपा क्या किसी पार्टी के समर्थन का कोई सवाल ही नहीं है. जब 2019 चुनाव आएगा तब वो देखेंगे कि कि क्या करना है ।