उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जहां एक समाजवादी पार्टी नेता द्वारा बच्चों को राजनीतिक अंदाज़ में वर्णमाला सिखाए जाने पर हंगामा मच गया है। स्कूल यूनिफॉर्म में नजर आ रहे बच्चों को “A for Akhilesh, B for Babasaheb, D for Dimple, M for Mulayam” जैसी एबीसीडी पढ़ाई जा रही थी। इसका वीडियो वायरल होने के बाद अब नेता पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
वीडियो वायरल होते ही पुलिस हरकत में आई
यह वीडियो कथित तौर पर सपा नेता फरहाद आलम गाडा के रामनगर स्थित आवास पर फिल्माया गया था, जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में कुछ स्कूली बच्चे राजनीतिक रूप से रंगी हुई वर्णमाला पढ़ते दिखे। मामला सामने आते ही सहारनपुर पुलिस ने सख्ती दिखाई और फरहाद आलम के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।
शिकायतकर्ता ने लगाया शिक्षा के राजनीतिकरण का आरोप
कल्लरपुर गुर्जर गांव के निवासी मेन सिंह की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया है। उनका आरोप है कि फरहाद ने कथित “पीडीए पाठशाला” के तहत बच्चों को राजनीति से प्रभावित एबीसीडी सिखाई, जो शिक्षा का राजनीतिकरण करने की कोशिश है। एसपी सिटी व्योम बिंदल ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि जांच जारी है।
फरहाद आलम का पक्ष: विचारधारा से परिचय करा रहे थे
विवाद बढ़ने पर फरहाद आलम गाडा ने सफाई दी कि उनका उद्देश्य सिर्फ वर्णमाला सिखाना नहीं था, बल्कि बच्चों को समाजवादी विचारधारा और इसके प्रतिनिधि चेहरों से अवगत कराना था। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी योजना पूरे जिले में ऐसे कार्यक्रम चलाने की है।
अखिलेश यादव का तीखा पलटवार
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस कार्रवाई को “शिक्षा-विरोधी” करार दिया। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “अंग्रेजों के जमाने में भी पढ़ाई करने पर एफआईआर नहीं होती थी। भाजपा का असली चेहरा सामने आ गया है। अब जनता इन्हें हमेशा के लिए सत्ता से बाहर कर देगी।”
कई जिलों में ‘पीडीए पाठशाला’ को लेकर कार्रवाई
सिर्फ सहारनपुर ही नहीं, बल्कि राज्य के अन्य जिलों में भी “पीडीए पाठशाला” से जुड़े मामलों पर पुलिस ने सख्त रुख अपनाया है। कानपुर के शाहमपुर गढ़ी गांव में समाजवादी नेता रचना सिंह गौतम पर भी प्राथमिकी दर्ज की गई है। वहीं भदोही में एक और सपा नेता और करीब एक दर्जन अन्य लोगों पर स्कूली बच्चों को विरोध प्रदर्शन में शामिल करने का आरोप लगा है।
राजनीति और शिक्षा की टकराहट
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य में शिक्षा के राजनीतिकरण को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। जहां समाजवादी पार्टी इसे वैचारिक जागरूकता कह रही है, वहीं प्रशासन इसे बच्चों की शिक्षा में राजनीति घुसाने की कोशिश मान रहा है। अब देखना होगा कि इस विवाद का अंत किस मोड़ पर होता है।
            








