राज्थान हाईकोर्ट की जयपुर की खंडपीठ ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में दायर अपील को निस्तारित कर दिया है। मदन दिलावर और बसपा को हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने फैसला सुनाते हुए एक बड़ी राहत दी है। अपील पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने स्टे एप्लिकेशन को 11 अगस्त को तय करने के आदेश दिए। साथ ही बसपा के सभी 6 विधायकों को नोटिस 8 अगस्त तक तामील करवाने के आदेश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश की खण्डपीठ ने बसपा विधायकों पर कार्रवाई को लेकर मदन दिलावर की अपील को निस्तारित करते हुए मदन दिलावर को बड़ी राहत दी है। खण्डपीठ ने अपील पर सुनवाई करते हुए बसपा के विधायकों पर नोटिस तामील करने के लिए स्पेशल मैसेंजर को डीजे जैसलमेर की सहायता से 8 अगस्त तक बसपा से कांग्रेस में शामिल विधायकों पर एकलपीठ की ओर से जारी नोटिस की तामील कराने को कहा है।
जैसलमेर डीजे को जरूरत पड़ने पर पुलिस अधीक्षक की मदद लेने को भी अदालत ने कहा है। अदालत ने विधायकों पर नोटिस तामील के लिए जैसलमेर और बाड़मेर के समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश मदन दिलावर और बसपा की अपील को निस्तारित करते हुए दिए।
अपील में कहा गया था कि एकलपीठ ने गत 30 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए स्पीकर के 18 सितंबर 2019 के आदेश पर रोक ना लगाकर सिर्फ नोटिस जारी किए हैं। 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र होने वाला है। दूसरी ओर विधायकों के बाडेबंदी में होने के कारण उन पर नोटिस तामील नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में खंडपीठ की ओर से स्पीकर के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई जानी चाहिए। अपील में कहा गया कि विधायकों पर नोटिस तामिल स्पीकर की जगह कराई जाए।
केंद्र सरकार के वर्ष 1958 के आदेश के तहत स्पीकर के ऑफिस को पोस्ट ऑफिस की तरह काम में नहीं लिया जा सकता,विधानसभा स्पीकर की ओर से कहा गया । इसके अलावा स्पीकर की ओर से कहा गया कि एकलपीठ ने कोई आदेश ही पारित नहीं किया है। ऐसे में खंडपीठ में अपील सुनवाई योग्य नहीं है। इसके अलावा हाईकोर्ट के वर्ष 1952 के नियम 134 के तहत किसी अंतरिम आदेश की अपील भी नहीं हो सकती।
सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने एकलपीठ को 11 अगस्त को स्टे एप्लीकेशन तय करने के साथ ही डीजे जैसलमेर को बागी विधायकों पर 8 अगस्त तक नोटिस तामिल कराने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में हाईकोर्ट की खण्डपीठ की ओर से जारी आदेश मदन दिलावर और बसपा के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।