कृत्रिम बारिश से मिलेगा राहत का पानी! जानिए क्या है क्लाउड सीडिंग और क्यों है ये इतनी महंगी?

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कृत्रिम बारिश से मिलेगा राहत का पानी! जानिए क्या है क्लाउड सीडिंग और क्यों है ये इतनी महंगी?
कृत्रिम बारिश से मिलेगा राहत का पानी! जानिए क्या है क्लाउड सीडिंग और क्यों है ये इतनी महंगी?

दिल्ली और एनसीआर में दिवाली के बाद वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो जाती है। इसी दौरान वर्षा का न होना हालात को और बिगाड़ देता है। ऐसे में सरकार एक नई कोशिश कर रही है – क्लाउड सीडिंग, यानी कृत्रिम बारिश के ज़रिए हवा को साफ करने का प्रयास। इस तकनीक को दिल्ली में पहली बार ट्रायल के तौर पर लागू किया जाना है। हालांकि, पहले यह टेस्ट जुलाई के पहले सप्ताह में होना था, लेकिन अब इसे स्थगित कर दिया गया है। दिल्ली सरकार का यह प्रयास उन देशों की राह पर है जहां पहले ही इस तकनीक का उपयोग हो रहा है – जैसे अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात।

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग यानी बादलों को कृत्रिम रूप से बरसाने के लिए तैयार करना। इसमें सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड या ड्राई आइस जैसे रसायनों को विमान या हेलीकॉप्टर से बादलों में छोड़ा जाता है। ये केमिकल बादलों में मौजूद जलवाष्प को आकर्षित करते हैं, जिससे बारिश की संभावना बढ़ जाती है।

इस प्रक्रिया में जब सिल्वर आयोडाइड हवा में पहुंचता है, तो वह बर्फ के क्रिस्टल जैसी संरचना बनाता है। इसके बाद नमी की बूंदें इकट्ठी होकर बारिश का रूप ले लेती हैं। आम तौर पर इस पूरी प्रक्रिया में 30 मिनट तक का समय लग सकता है।

क्लाउड सीडिंग के दो प्रमुख तरीके

  • हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग – इसमें नमक जैसे कणों का प्रयोग किया जाता है जो लिक्विड क्लाउड में बूंदों के आकार को बड़ा करते हैं और बारिश को प्रेरित करते हैं।
  • ग्लेशियोजेनिक क्लाउड सीडिंग – इसमें सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस के जरिए सुपरकूल्ड बादलों में बर्फ के नाभिक बनाए जाते हैं, जिससे वर्षा संभव हो पाती है।

कितना खर्च आता है इस प्रक्रिया में?

हालांकि पहले भी दिल्ली में क्लाउड सीडिंग की योजना बनी थी, लेकिन कई कारणों से इसे अमल में नहीं लाया जा सका। इस बार DGCA से विशेष अनुमति ली गई है और IIT कानपुर की एक टीम ने इसके लिए खास फॉर्मूला तैयार किया है। ट्रायल की लागत लगभग 3.21 करोड़ रुपये आंकी गई है। अगर यह सफल होता है, तो दिल्ली के लिए यह पर्यावरणीय सुधार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है।