प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ का अनुमान लगाना प्रशासन के लिए हमेशा एक चुनौती रहा है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस आयोजन में अबतक करोड़ों लोग गंगा में डुबकी लगा चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पहले दो दिनों में 5.15 करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान किया। 14 जनवरी को पहले अमृत स्नान के दौरान 3.5 करोड़ से ज्यादा लोग गंगा में उतरे। अब सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की गिनती कैसे की जाती है? क्या यह वाकई मुमकिन है? और प्रशासन ने इतने बड़े आंकड़े का दावा कैसे किया?
श्रद्धालुओं की गिनती का तरीका
भीड़ की गिनती सांख्यिकीय तकनीकों के जरिए की जाती है। 2013 में पहली बार इस विधि का इस्तेमाल किया गया था, जब कुंभ में आए श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाया गया था। इसके अनुसार, एक व्यक्ति को स्नान के लिए लगभग 0.25 मीटर की जगह चाहिए और स्नान में करीब 15 मिनट का समय लगता है। इस आधार पर एक घंटे में एक घाट पर 12,500 लोग स्नान कर सकते हैं। इस बार महाकुंभ में 44 घाट हैं, जो पहले के मुकाबले अधिक हैं।
हाईटेक तकनीक से गिनती
हालांकि, यह आंकड़ा पूरी तरह से सही नहीं लगता, तो प्रशासन ने इसे सही करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लिया है। इसके तहत श्रद्धालुओं की गिनती के लिए AI तकनीक वाले कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र में 200 अस्थायी CCTV कैमरे भी लगाए गए हैं, और शहर में 1107 कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं। प्रशासन रेलवे स्टेशनों, पार्किंग क्षेत्रों और बसों में आने-जाने वालों की भी निगरानी कर रहा है।
इसके बावजूद, इस तकनीक में एक व्यक्ति की एक से अधिक बार गिनती होने की संभावना रहती है, क्योंकि एक ही व्यक्ति को विभिन्न स्थानों पर कैमरे के द्वारा ट्रैक किया जा सकता है। फिर भी, यह तरीका प्रशासन को अधिक सटीक आंकड़े प्रदान करने में मदद करता है।
महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की गिनती बेहद चुनौतीपूर्ण होती है, लेकिन प्रशासन की स्मार्ट तकनीक और सांख्यिकीय गणना ने इसे संभव बना दिया है। AI और CCTV कैमरों की मदद से करोड़ों श्रद्धालुओं की सही संख्या का अनुमान लगाने की प्रक्रिया और अधिक सटीक होती जा रही है।