जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया है। इस हमले की गंभीरता और भी बढ़ गई जब यह सामने आया कि आतंकियों ने पुलिस और सेना जैसी वर्दी पहन रखी थी। ये वर्दी पहनकर उन्होंने आम लोगों को धोखा दिया और हमला किया, जिसमें अब तक 26 लोगों की जान जा चुकी है। ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि इस वारदात में कुछ स्थानीय मददगार भी शामिल थे, जो पुलिस की वर्दी में नजर आए।
यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या कोई भी व्यक्ति पुलिस या सैन्य वर्दी आसानी से हासिल कर सकता है? और अगर हां, तो इसके लिए कानून क्या कहता है?
नकली वर्दी का इस्तेमाल कानूनन अपराध
पुलिस या सेना जैसी वर्दी पहनना केवल अधिकार प्राप्त लोगों के लिए ही वैध होता है। लेकिन आजकल बाज़ार में नकली वर्दियाँ, टोपी, बैज और स्टार्स आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इन्हें पहनकर आम अपराधी या आतंकवादी खुद को कानून का रक्षक दिखाकर आम लोगों को भ्रमित कर सकते हैं। हालांकि, भारतीय कानून में इसके खिलाफ सख्त प्रावधान मौजूद हैं।
IPC की किन धाराओं के तहत होती है कार्रवाई?
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 140 और धारा 171 इस तरह के मामलों पर लागू होती है।
- धारा 140 के तहत अगर कोई व्यक्ति गलत इरादे से पुलिस या सेना की वर्दी पहनता है, तो यह अपराध माना जाता है।
- धारा 171 का उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति सरकारी पदाधिकारी होने का झूठा दिखावा करता है, जिससे जनता को धोखा हो।
- इन दोनों धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को दो साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा मिल सकती है।
आतंकियों द्वारा वर्दी का दुरुपयोग
पहलगाम हमले के मामले में जो जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार आतंकियों ने सेना की वर्दी पहनकर न केवल लोगों को भ्रमित किया बल्कि सुरक्षा जांच से भी बचने की कोशिश की। यह न केवल सुरक्षा व्यवस्था की खामी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वर्दी की खरीद-बिक्री पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है।
इस घटना के बाद जरूरी हो गया है कि नकली वर्दियों की उपलब्धता पर सख्ती से रोक लगे। इसके साथ ही आम नागरिकों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। अगर किसी को किसी व्यक्ति की वर्दी पर शक हो तो तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करना चाहिए। कानून की नजर में वर्दी पहनकर धोखा देना गंभीर अपराध है और इसके लिए निश्चित सजा तय की गई है।