घूंघट के पीछे गुनाह! शराब तस्करी में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का सच, चंदौली में 5 महिला तस्करों की गिरफ्तारी ने खोली इस नए नेटवर्क की परतें

0
148

CHANDAULI LIQUOR SMUGGLING : जब समाज ‘घूंघट’ को मर्यादा और सुरक्षा का प्रतीक मानता है, तब वहीं पर्दे के पीछे पल रहे गुनाह का चेहरा चौंका सकता है। अलीनगर थाना क्षेत्र के लोको कॉलोनी में हनुमान मंदिर के पास शनिवार को जब पुलिस और आरपीएफ की संयुक्त टीम ने छापा मारा, तो न केवल 11 शराब तस्कर गिरफ्तार हुए, बल्कि इनमें शामिल 5 महिलाओं ने सभी को चौंका दिया। इनमें से कई महिलाएं इस गोरखधंधे की फ्रंटलाइन प्लेयर थीं — सिर्फ सहयोगी नहीं, बल्कि पूरी डिलीवरी चेन की मुख्य कड़ियाँ।

जब घूंघट बना अवैध धंधे की ढाल

पुलिस सूत्रों की मानें तो महिलाएं अब तस्करी नेटवर्क में सिर्फ इसलिए नहीं जोड़ी जा रहीं कि वो ‘कम शक के घेरे’ में आती हैं, बल्कि इसलिए कि वह शराब की खेप की अंतिम डिलीवरी तक करती हैं। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद तस्करों ने यूपी के सीमावर्ती जिलों जैसे चंदौली, गाजीपुर और बनारस को ट्रांजिट प्वाइंट बना लिया है। और अब महिलाओं का इस्तेमाल नए ढंग से हो रहा है — झोले में बोतलें, बच्चों के साथ सफर, मंदिर के पास मुलाकातें — सबकुछ एक ‘नॉर्मल’ सेटअप जैसा दिखता है, लेकिन असलियत कुछ और होती है। हालांकि इस बाबत APN न्यूज की टीम ने पुलिस महकमें के उच्चाधिकारी को पहले ही संकेत दे दिए थे, और इस बात की पुख्ता पुष्टि की थी कि शराब दुकानों के कथित ठेकेदार द्वारा शराब तस्करी का नायाब तरीका निकालते हुए महिलाओं को तस्करी के एजेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है।

मजबूरी या संगठित अपराध में स्वेच्छा?

गिरफ्तार महिलाओं की उम्र 30 से 45 वर्ष के बीच है। ये महिलाएं नवादा, बेगूसराय, पटना और रोहतास जैसे बिहार के उन इलाकों से आई हैं जहां गरीबी, अशिक्षा और रोजगार की भारी कमी है। कुछ को ‘पैकेट डिलीवरी एजेंट’ के रूप में रखा गया था, जो हर खेप के बदले कमीशन पाती थीं। लेकिन कुछ तो इस तंत्र की ‘लीड ऑपरेटर’ थीं — जो मंझे हुए नेटवर्क को संभाल रही थीं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, अब तस्करी में महिलाएं भी मुख्य भूमिका में आ रही हैं। ये न केवल शराब की खेप लेकर आती हैं, बल्कि बिहार में ग्राहक तक डिलीवरी भी करती हैं। कई मामलों में ये परिवार समेत शामिल होती हैं।

कानून की नजर और समाज की सोच के बीच खिंचता संतुलन

समाजशास्त्रियों का मत भी दो भागों में बंट गया है। एक पक्ष इसे महिलाओं का “शोषण” मानता है — जहां गरीबी और बेरोजगारी के चलते महिलाएं इस अपराध में धकेली जा रही हैं। वहीं दूसरा पक्ष कहता है कि आज की महिलाएं जानबूझकर और फायदे के लिए इस कारोबार का हिस्सा बन रही हैं, जिसे अब “संगठित अपराध” की तरह देखा जाना चाहिए।

पुलिस के लिए असली चुनौती अब शुरू

एसपी आदित्य लांग्हे के नेतृत्व में की गई कार्रवाई भले ही सराहनीय हो, लेकिन यह तंत्र कितनी गहराई तक फैला है, यह जांच का विषय है। क्या ये सिर्फ ‘सतह की गिरफ्तारी’ है, या असली नेटवर्क अभी छिपा है? क्या बिहार और यूपी की पुलिस मिलकर इस ट्रांजिट को जड़ से खत्म कर पाएगी?

शराबबंदी कानून अपने उद्देश्य में तभी सफल होगा जब इसके समानांतर सामाजिक जागरूकता, वैकल्पिक रोजगार और महिलाओं को मुख्यधारा में लाने की ठोस पहल भी हो। क्योंकि अगर घूंघट के पीछे गुनाह पलता रहा, तो कानून के हाथ भले लंबे हों, लेकिन समाज की जड़ें कमजोर होती जाएंगी।