आजकल मोबाइल फोन हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। लोग दिनभर फोन में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें यह तक नहीं पता चलता कि वह खुद को किस ओर धकेल रहे हैं। इसी बीच एक बार फिर बाबा वेंगा की एक भविष्यवाणी सुर्खियों में है, जिसमें उन्होंने स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर गंभीर चेतावनी दी थी।
जब मशीन बन जाएगा इंसान
बाबा वेंगा का मानना था कि तकनीक का अत्यधिक उपयोग इंसान को भावनाओं और रिश्तों से दूर कर देगा। उन्होंने आगाह किया था कि स्मार्टफोन की आदत धीरे-धीरे हमें मशीन जैसा बना देगी—जहां इंसान केवल एक स्क्रीन के पीछे छिपकर जीएगा, और असली दुनिया से उसका रिश्ता कमजोर होता जाएगा। मानसिक संतुलन पर इसका असर इतना गहरा होगा कि व्यक्ति को खुद इसकी भनक तक नहीं लगेगी। बाबा की कही यह बात आज की पीढ़ी पर पूरी तरह से सटीक बैठती है।
स्क्रीन टाइम पर नहीं है काबू
तेजी से बदलती दिनचर्या और डिजिटल दुनिया की लत ने स्क्रीन टाइम को एक बड़ी समस्या बना दिया है। आंकड़े बताते हैं कि युवा वर्ग में मोबाइल फोन की लत न केवल नींद को प्रभावित कर रही है, बल्कि ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी कमजोर कर रही है। सोशल मीडिया और नोटिफिकेशन की भरमार ने इंसान को वास्तविकता से दूर कर दिया है, जिससे रिश्तों में दूरी और मानसिक तनाव दोनों बढ़ रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर भारी मोबाइल की लत
विशेषज्ञ लगातार यह चेतावनी दे रहे हैं कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग चिंता, अवसाद और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याओं को जन्म दे रहा है। इसके अलावा मोबाइल की ब्लू लाइट नींद को नुकसान पहुंचा रही है और सोशल मीडिया की तुलना करने वाली दुनिया आत्म-सम्मान को प्रभावित कर रही है।
अब वक्त है डिजिटल डिटॉक्स का
बाबा वेंगा की यह भविष्यवाणी आज की स्थिति पर गहरी रोशनी डालती है। यह संकेत देती है कि अब समय आ गया है कि हम अपने डिजिटल व्यवहार पर थोड़ा कंट्रोल करें। “डिजिटल डिटॉक्स” जैसे ट्रेंड्स आज लोगों को एक नई राह दिखा रहे हैं, जहां कुछ वक्त के लिए मोबाइल से दूरी बनाकर प्रकृति, परिवार और खुद से जुड़ने की कोशिश की जाती है। यह पूरी तरह से तकनीक को छोड़ने की नहीं, बल्कि उसे संतुलित ढंग से इस्तेमाल करने की सलाह है।