बदलते वक्त के साथ हमेशा फैशन सिंबल रही हैं, जामदानी साड़ियां

0
1490
Jamdani Silk Sarees

Report : Shweta Rai

साड़ी का नाम आते ही भारतीय नारी का पूरा व्यक्तित्व नजरों के सामने उभर आता है। साड़ी भारतीय महिलाओं का मुख्य परिधान है। ये साड़ियां सदियों से भारत के पूर्वी राज्यों, खासकर पश्चिम बंगाल और हमारे पड़ोसी देश बांग्ला देश जो पहले हमारे देश का एक हिस्सा हुआ करता था, के इलाकों में बनायी जाती है। जामदानी सिल्क से बनी हुई साड़ियां पूरी दुनिया में अपनी कढ़ाई के काम, डिजायन और बारीक मलमल के कपड़े के लिए काफी प्रसिद्ध है। ये साड़ियां, भारतीय महिलाओं के बीच सबसे लोकप्रिय पहनावों में से एक रही हैं और इन्हें लगभग पूरे भारत में इसे खरीदा जा सकता है।

पुराना इतिहास रहा है इनका

जामदानी साड़ी ये शब्द दो शब्दों जाम और दानी को मिलाकर बना है। जाम का मतलब है फूल और दानी का मतलब होकी है गुलदस्ता। इस साड़ी इतिहास इतना पुराना है कि इसका जिक्र ईसा पूर्व के चाणक्य के द्वारा लिखे ग्रंथ अर्थशास्त्र में मिलता है।अवध के नवाबों के शासन काल में जामदानी ने कलात्मक श्रेष्ठता प्राप्त कर ली थी। जामदानी के उद्भव के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन गुप्तकाल (चौथी से छटी शताब्दी ई.) के संस्कृत साहित्य में इसका उल्लेख है। यह तो ज्ञात है कि मुग़ल काल (1556-1707 ई.) में श्रेष्ठ जामदानियां ढाका, तत्कालीन बंगाल राज्य में वर्तमान बांग्लादेश की राजधानी, में बनाई जाती थीं। इंडिया में मुग़लों के राज के दौरान इन जामदानी साडियों का सुनहरा सफर परवान चढ़ा। बाद में ये यूरोप और इरान से भारत के व्यापार की शुरुआत होने पर ये  जामदानी साडियां  भारत के लिए एक फायदेमंद ट्रेडिंग कमोडिटी साबित हुईं।

SILK JAMDANEE 001

कैसी तैयार होती है जामदानी साड़ी

हाथ से तैयार की जाने वाली जामदानी साड़ी को बनाने में कड़ी मेहनत और बहुत ज़्यादा समय लगता है। साड़ी तैयार करने के दौरान करघे पर ख़ास तरह की डिजाइन उकेरी जाती हैं जो अमूमन भूरे और सफेद रंग में होती हैं। लेकिन डाडु इसके लिए सिलिकॉन शीट का इस्तेमाल करती हैं जिनसे वो अच्छी क्वालिटी के धागे तैयार करके जामदानी साड़ी बनाती हैं। सिलिकन एक बेहद नाजुक और लचीली चीज होती है।

SILK JAMDANEE 002

जामदानी साड़ी भारत और बांग्लादेश में फेमस

जामदानी साड़ी को पहले सिर्फ पुरुष तैयार करते थे लेकिन अब भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में महिलाएं भी इसे तैयार कर रही हैं। कई बार तो एक साड़ी को तैयार करने में दो साल तक लग जाते हैं। बांग्लादेश के रूपगंज, सोनारगांव और सिद्धिरगांव में भी जामदानी की बुनाई होती है। जामदानी साड़ियां, अपने टेक्सचर और सॉफ्टनेस की वजह से पहनने में बहुत आसान होती हैं, ये बेहद खूबसूरत रंगों में बनाई जाती है। जामदानी की आज भी काफी मांग है और अकसर सेलेब्रिटीज इसे पहने दिखते हैं। पिछले साल लक्मे फैशन वीक में विद्या बालन ने इसे पहना था।

SILK JAMDANEE 003

जामदानी साड़ी की खास विशेषताएं

जामदानी साड़ी एक प्रकार की कसीदा की हुई मलमल, जो भारतीय बुनकरों की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है। 18वीं शताब्दी में जामदानियों की बुनाई अवध के नवाबों के शासन काल में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में प्रारंभ हुई और इसने कलात्मक श्रेष्ठता प्राप्त की। इनके उत्पादन में बहुत कौशल की ज़रूरत होती थी और यह बहुत कीमती थी। जामदानी मलमल की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता इसकी रूपाकृतियों में फ़ारसी कला के तत्वों का समावेश है। इस साड़ी को पहनना बेहद आसान तो होता ही है लेकिन इसकी कीमत भी वाजिब होती है। और यही वजह है कि बदलते वक्त के साथ इसके चाहने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है और ये हमेशा फैशन सिंबल बनी रही हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here