नए जमाने का इश्क: जब प्यार भी हो गया है ‘कोडेड’ – जानिए मॉडर्न रिलेशनशिप की नई परिभाषाएं

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नए जमाने का इश्क
नए जमाने का इश्क

समय के साथ रिश्तों की परिभाषा भी तेजी से बदल रही है। जहां एक दौर में प्रेम और रिश्तों का मतलब सीधा और स्पष्ट हुआ करता था, वहीं अब Gen Z और मिलेनियल्स के बीच रोमांटिक रिलेशनशिप के लिए कई नए शब्द और व्यवहार सामने आए हैं। अब ये रिश्ते सिर्फ ‘कमिटेड’ या ‘ब्रेकअप’ तक सीमित नहीं रहे। आइए जानते हैं मॉडर्न डेटिंग कल्चर की इस मॉडर्न रिलेशनशिप की नई परिभाषा के बारे में:

  1. पॉकेटिंग (Pocketing)

जब कोई अपने पार्टनर को दुनिया से छुपाकर रखता है — ना फैमिली से मिलवाना, ना सोशल मीडिया पर दिखाना — तो इसे पॉकेटिंग कहा जाता है। इसमें कमिटमेंट की कमी होती है।

  1. सिचुएशनशिप (Situationship)

यह रिलेशनशिप उन लोगों का होता है जो एक-दूसरे को पसंद तो करते हैं, लेकिन अपने रिश्ते को लेबल देने से बचते हैं। न पूरी तरह रिलेशन में, न बाहर — ये होता है सिचुएशनशिप।

  1. फ्लीटिंग (Fleeting)

जब दो लोग सिर्फ टाइमपास के लिए साथ होते हैं और किसी गंभीर रिश्ते की तलाश में नहीं रहते, तो ऐसे रिलेशन को फ्लीटिंग कहा जाता है।

  1. बेंचिंग (Benching)

इसमें पार्टनर आपको पूरी तरह अपनाता नहीं है, लेकिन जाने भी नहीं देता। यानी आप एक बैकअप प्लान के तौर पर उसके ज़िंदगी में बने रहते हैं।

  1. घोस्टिंग (Ghosting)

जब आपका पार्टनर अचानक आपसे दूरी बना ले और बिना कोई वजह बताए बातचीत बंद कर दे, तो इसे घोस्टिंग कहा जाता है।

  1. ज़ॉम्बिइंग (Zombieing)

जब कोई पुराना पार्टनर लंबे समय बाद अचानक वापस आपकी ज़िंदगी में लौट आए, जैसे कुछ हुआ ही न हो — उसे ज़ॉम्बिइंग कहते हैं।

  1. ब्रेडक्रंबिंग (Breadcrumbing)

इसमें लोग बहुत कम बातचीत करके, छोटी-छोटी उम्मीदें देकर रिश्ते को ज़िंदा रखते हैं, लेकिन असल में किसी मजबूत कमिटमेंट की कोई इच्छा नहीं होती।

इन नए रिलेशनशिप कोड्स को समझना आज के समय में ज़रूरी है, खासकर तब जब सोशल मीडिया और डिजिटल कम्युनिकेशन ने रिश्तों की दिशा और दशा दोनों को बदल दिया है। अगर आप या आपका कोई करीबी किसी ऐसे रिलेशन में है, तो इन व्यवहारों को पहचान कर सही फैसला लेना बेहद अहम हो सकता है।