आयुर्वेद (Ayurveda) में ये माना जाता है कि भोजन की तरह ही पानी को भी पचाना पड़ता है, ऐसे में शुद्ध पानी (Pure Water) पीना जरूरी है। शुद्ध पानी पीने से अधिकतम स्वास्थ्य लाभ होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ रेखा राधामणि (Ayurvedic doctor Dr. Rekha Radhamani) के अनुसार, जिस कंटेनर में पीने का पानी जमा होता है और उसका आकार बहुत महत्वपूर्ण होता है। डॉ राधामणि ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में कहा है कि पीने के पानी के लिए सबसे अच्छे बर्तन मिट्टी के बर्तन और तांबे के बर्तन हैं।
मिट्टी के पात्र
मिट्टी के पात्र पीने के पानी को घंटों तक ताजा और ठंडा रखते हैं, साथ ही ये एसिडिटी और त्वचा की समस्याओं को भी दूर करते हैं और जीवन शक्ति में सुधार होता है।
तांबे के बर्तन
तांबे के बर्तन पाचनशक्ति को बढ़ाता है और पानी के दोषों को संतुलित करता है, हालांकि तांबे के बर्तनों के अत्यधिक इश्तेमाल के भी दुष्प्रभाव हैं। यह बैक्टीरियां को मारता है और रक्तस्राव से संबंधित विकार हो तो इसका इश्तेमाल न करें। तांबे के बर्तन में खाना न पकाएं या गर्म दूध या गर्म तरल पदार्थ न रखें। 6 से 8 घंटे अगर इसमें पानी को स्टोर कर के छोड़ दिया जाए तो पानी शुद्ध हो जाता है, एनीमिया, किडनी और कोलेस्ट्रोल जैसी बीमारियों में इसमें रखें पानी पीने से राहत मिलता है।
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