रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अब केंद्र सरकार यूनिटेक को टेकओवर नहीं कर पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के जरिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें केंद्र सरकार को रियल स्टेट कंपनी यूनिटेक के टेकओवर के लिए कहा गया था।
दरअसल मंगलवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के आदेश को चुनौती देने वाली यूनिटेक की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के रुख पर नाराज़गी जताते हुए कहा था कि केंद्र को NCLT जाने से पहले एक बार उस से इजाज़त लेनी चाहिए थी और कोर्ट ने यह भी कहा कि जब हम इस मामले की पहले से सुनवाई कर रहे हैं तो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को ऐसा आदेश जारी करने की क्या आवश्यकता थी?
सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त रुख के बाद सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मामले में उन्हें केंद्र से दिशा निर्देश लेने होंगे। बुधवार(13 दिसंबर) को सुनवाई में केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल पेश हुए और उन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच से माफी मांगी, अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान NCLT नहीं जाना चाहिए था।
दरअसल NCLT ने रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक को तगड़ा झटका दिया था। ट्रिब्यूनल ने सरकार को कर्ज के बोझ तले दबी इस कंपनी के 10 निदेशकों की नियुक्ति करने की अनुमति दे दी थी और कंपनी की बागडोर अपने हाथों में लेने का आदेश दिया था। जस्टिस एम. एम. कुमार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय NCLT बेंच ने सरकार को 20 दिसंबर तक निदेशक के तौर पर नियुक्त किए जाने वाले 10 लोगों के नाम देने के निर्देश दिए थे। यूनिटेक मैनेजमेंट पर पैसे के हेरफेर और कुप्रबंधन का आरोप लगने के बाद कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी का प्रबंधन संभालने के लिए NCLT का रुख किया था। NCLT इसी आदेश के खिलाफ यूनिटेक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था और आदेश को रद्द करने की मांग की थी।