कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार (3 जनवरी ) को ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पेश किया लेकिन कांग्रेस और TMC ने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने संशोधन प्रस्ताव पेश करते हुए बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की और कहा कि बजट सत्र के पहले हफ्ते तक रिपोर्ट आ जाए ताकि आगे इसपर बहस हो सके। बिल पर राज्यसभा में हंगामे के चलते कार्यवाही को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

एक साथ तीन तलाक पर रोक लगाने वाले विधेयक को लोकसभा ने तो पारित कर दिया है  लेकिन राज्यसभा में NDA को बहुमत हासिल नहीं है इसलिए आशंका भी जताई जा रही है कि यहां पर विधेयक के कुछ प्रवधानों को लेकर पेंच फस सकता है।

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को लोकसभा में 28 दिसंबर शाम को वोटिंग कराई गई थी और अधिकतर सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया था। तीन तलाक को अपराध करार देने वाले इस विधेयक को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया था, जिस पर दिन भर चली बहस के बाद वोटिंग हुई।

इस विधेयक में संशोधन को लेकर विपक्ष के कई प्रस्ताव खारिज हो गए। एमआईएम के सांसद असद्दुदीन ओवैसी का प्रस्ताव 2 वोटों के मुकाबले 241 मतों के भारी अंतर से खारिज कर दिया गया, जबकि 4 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

तीन तलाक पर बैन के इस विधेयक के जरिए जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एक साथ तीन तलाक  (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी बनाया जाएगा। इस बिल के तहत अगर कोई व्यक्ति एक समय में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो वह गैरजमानती अपराध माना जाएगा और उसे तीन साल की सजा भी हो सकती है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को महिला विरोधी बताया है और सज़ा के प्रावधान का विरोध कर रहा है। दरअसल तीन तलाक विधेयक को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले अंतर मंत्रीस्तरीय समूह ने तैयार किया है इसमें मौखिक, लिखित या एसएमएस या फिर व्हाट्सएप के जरिये किसी भी रूप में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अवैध करार देने और पति को तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक को इस महीने ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

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