Supreme Court:जिलास्तर पर अल्पसंख्यकों को परिभाषित करने की मांग करते हुए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है।इसके लिए दायर याचिका में कहा गया है कि इससे केवल उन्हीं धार्मिक और भाषाई समूह के लोग जो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और संख्या के अनुपात में कम हों उन्हें संविधान के अनुच्छेद 29-30 के तहत लाभ और सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
Supreme Court: अधिनियम 1992, की धारा 2c को रद्द करने की मांग
याचिका में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992, की धारा 2c को रद्द करने की मांग की।कहा गया कि ये धारा असंवैधानिक है यह संविधान के अनुछेद 14, 15, 21, 29 और 30 का उल्लंघन है।
याचिका में भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ वेलफेयर द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के लिए 23 अक्टूबर 1993 को जारी किए गए नोटिफिकेशन को तर्कहीन असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 29, 30 का उल्लंघन बताया गया। इसे रद्द करने की मांग उठाई।
वकील चंद्रेशेखर द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि देश में 9 ऐसे राज्य हैं। जिनमें गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं लेकिन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग 1992 की धारा 2c के तहत उन्हें अल्पसंख्यक नहीं घोषित किया गया है। मुसलमानों को इसके तहत अल्पसंख्यक घोषित किया गया है। जिसकी वजह से अल्पसंख्यक समुदायों को मिलने वाली सुविधा नहीं मिल रही है।
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