सुप्रीम कोर्ट में नई नियुक्तियां और विवाद: न्यायधीश पंचोली की पदोन्नति को लेकर जस्टिस नागरत्ना ने कॉलेजियम के निर्णय पर उठाए थे सवाल

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल मनुभाई पांचोली को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत कर दिया है। इन नियुक्तियों के साथ सुप्रीम कोर्ट अपनी पूर्ण क्षमता (34 न्यायाधीशों) पर कार्य करेगा।

हालांकि, यह प्रक्रिया पूरी तरह निर्विवाद नहीं रही। कॉलेजियम में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जस्टिस विपुल पांचोली की पदोन्नति पर कड़ा ऐतराज दर्ज किया और इसे न्यायपालिका के लिए प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कदम बताया।

कॉलेजियम का निर्णय और असहमति का आधार

कॉलेजियम की बैठक 25 अगस्त को हुई थी, जिसमें निर्णय 4-1 के बहुमत से लिया गया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके महेश्वरी ने नियुक्ति का समर्थन किया, जबकि जस्टिस नागरत्ना असहमत रहीं।

उनके अनुसार, जस्टिस पंचोली की वरिष्ठता सूची में 57वां स्थान है, ऐसे में उन्हें पदोन्नति देना वरिष्ठता सिद्धांत से हटकर है। गुजरात हाई कोर्ट से पटना हाई कोर्ट में उनका स्थानांतरण भी परिस्थितिजन्य प्रश्न खड़े करता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के मुद्दे को भी उन्होंने उठाया।

जस्टिस आलोक अराधे का न्यायिक सफर

  • 2009: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त।
  • इसके बाद कर्नाटक हाई कोर्ट और तेलंगाना हाई कोर्ट में सेवाएं दीं।
  • वर्तमान में बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश।

जस्टिस विपुल पांचोली का न्यायिक सफर

  • 2014: गुजरात हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
  • बाद में पटना हाई कोर्ट में स्थानांतरण।
  • वर्तमान में पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश।
  • सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के बाद, वे अक्टूबर 2031 में मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में होंगे, जब जस्टिस जायमाल्या बागची सेवानिवृत्त होंगे।

संवैधानिक और विधिक दृष्टिकोण

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जो कॉलेजियम की सिफारिश और केंद्र सरकार की स्वीकृति पर आधारित होती है।

वरिष्ठता और मेरिट, दोनों ही नियुक्ति प्रक्रिया के मूल आधार हैं। परंतु, जब वरिष्ठता से नीचे के किसी न्यायाधीश को पदोन्नति दी जाती है, तो उस पर स्वाभाविक रूप से प्रश्न उठते हैं।

बताते चलें कि इससे पहले, हाल ही में (करीब 3 महीने) गुजरात गुजरात हाई कोर्ट के एक और जज जस्टिस एनवी अंजारिया भी सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए हैं।

इस विवाद पर एनजीओ कैम्पेन फॉर जुडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने कोलेजियम के 4-1 से आए फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसे पारदर्शिता से रहित करार दिया। संगठन का कहना है कि पंचोली अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 57वें नंबर पर हैं और वह गुजरात से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति पाने वाले तीसरे जज होंगे, जबकि कई अन्य हाई कोर्ट आज भी प्रतिनिधित्व से वंचित हैं।