Supreme Court: CJIने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल को साथ बैठकर एक योग्य नाम पर विचार करना चाहिए।कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा कि एक साथ बैठ क्यों नहीं जाते?आप लोग कुछ तय ही कर लीजिए।CJI ने कहा कि ऐसे में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को एक साथ बैठ कर ऐसे मामलों का निर्णय करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम DERC के अध्यक्ष की नियुक्ति हो चुकी है। हम मामले को विस्तृत तौर पर देख रहे हैं।वही दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि उनको इस बैठक से कोई उम्मीद नहीं है।जबकि उपराज्यपाल की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि कि हम भी कुछ हद तक इस विचार से सहमत हैं।
दिल्ली सरकार कोर्ट में आकर निगेटिव बात करती है।उनकी तरफ से कभी यह नहीं कहा जाता है कि सांविधानिक पहलू पर इस विवाद का हल निकलेंगे।उन्होंने कहा कि य़ह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार के वकील ने यह कहना शुरू कर दिया कि उन्हें कोई उम्मीद नहीं है। पहली प्रतिक्रिया यह होनी चाहिए कि हां, हम यह करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई विनर या लूजर नही है।संविधान सबसे बड़ा है।

Supreme Court: पीठ इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजना चाहती है
Supreme Court: CJI ने कहा कि पीठ इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजना चाहती है। संविधान पीठ य़ह विचार करेगी कि क्या संविधान के एंट्री 41 में इस तरह से संशोधन किया जा सकता है?SG ने अध्यादेश जारी करने के मामले की संविधान पीठ को भेजने के सुझाव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि संसद को संघ, राज्य और समवर्ती सूची के तहत सभी विषयों के लिए कानून बनाने की शक्ति है।
हालांकि कोर्ट ने मामले की सुनवाई 20 जुलाई को तय करते हुए कहा कि पहले हम इस मामले पर सुनवाई कर य़ह तय करेंगे। अध्यादेश के मामले को संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं।सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को इस मसले पर बैठकर विचार करने के सुझाव के आधार पर कल यानी मंगलवार को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल बैठक कर DERC चेयरमैन की नियुक्ति के विषय मे सुप्रीम कोर्ट को बताएंगे। इसके बाद कोर्ट इस मामले पर विचार करेगा।
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