खेतों में पराली जलाने के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई है। सुनवाई के दौरान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पूछा कि क्या राज्य सरकार ने कृषि अवशेष यानी पराली को औद्योगिक ईंधन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल करने पर कभी विचार किया है ? नाराज़गी जताते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि सरकार इस विकल्प पर गंभीरता से विचार क्यों नहीं कर रही है, आप लोग केवल लेक्चर देना जानते हैं। पंजाब के अलावा दूसरे राज्यों पर भी टिप्पणी करते हुए नेश्नल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि किसी के पास पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए कोई ठोस प्लान नहीं है। किसी भी राज्य की तरफ से किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए इंसेंटिव देने जैसे उपाय पर अमल नहीं किया जा रहा है।
बता दें कि पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट में पराली जलाने से रोकने के लिए कोर्ट मित्र हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट दी थी। अपनी रिपोर्ट में हरीश साल्वे ने कहा है कि सरकारें किसानों को पराली निकालने के लिए उपकरण दें। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि किसानों को उपकरण सब्सिडी के बजाए मुफ़्त में मुहैया कराए जाएं।
NGT ने पंजाब सरकार से पूछा कि पिछले 2 साल में किसी कंपनी को बायोमास प्लांट लगाने के लिए क्यों नहीं कहा गया। पराली से कई चीजें बनाई जा सकती हैं आपने क्यों किसी कंपनी से समझौता नहीं किया और क्यों इसके लिए कोई टेंडर नहीं निकाले गए। इस पूरे मामले पर ट्रिब्यूनल अब 11 दिसम्बर को अगली सुनवाई करेगा।
गुरुवार को भी NGT ने पंजाब सरकार को प्रदूषण पर सही एक्शन प्लान न दे पाने की वजह से फटकार लगाई थी, पंजाब सरकार के वक़ील ने और वक्त मांगा था लेकिन NGT ने सभी राज्यों से आज (शुक्रवार) तक एक्शन प्लान के साथ तैयार रहने के लिए कहा था साथ ही राज्यों के सचिवों को भी आने को कहा था।