सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की सुनवाई के लाइव प्रसारण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से सभी पक्षों के सुझाव लेकर शुक्रवार (27 जुलाई) को इन्हें पेश करने को कहा है। अटॉर्नी जनरल ने खुद इस मांग का समर्थन किया है।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की सुनवाई के लाइव प्रसारण का रास्ता लगभग साफ हो गया है। महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की विडियो रिकॉर्डिंग और उसके सीधे प्रसारण को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को सुझाव दिया कि सभी मामलों का लाइव प्रसारण की अनुमति की बजाय अभी कोर्ट को केवल चीफ जस्टिस के कोर्ट मे चल रहे संवैधानिक मामलों के लाइव प्रसारण की अनुमति देनी चाहिए और अभी लाइव स्ट्रीमिंग ट्रायल बेसिस पर पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर की जा सकती है। वेणुगोपाल ने कहा कि आगे चलकर पायलट प्रॉजेक्ट की कार्य पद्धति का विश्लेषण किया जाएगा और उसे ज्यादा प्रभावी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग को एक प्रयोग के तौर पर पहले एक से तीन महीने के लिए शुरू किया जा सकता है, जिससे ये समझा जा सके कि तकनीकी तौर पर ये कैसे काम करता है।
वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि कोर्ट को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि लाइव प्रसारण का न तो व्यावसायिक इस्तेमाल हो और न ही उसका दोबारा इस्तेमाल किया जा सके क्योंकि आजकल सोशल मीडिया की वजह से चीजें ज्यादा जल्दी और गलत दिशा में वायरल होती हैं। वहीं वकील विराग गुप्ता ने कहा कि कोर्ट में सभी जनहित याचिकाओं और महत्वपूर्ण मामलों की भी वीडियो रिकॉर्डिंग होनी चाहिए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह समेत सभी पक्षों से अटॉर्नी जनरल के इस प्रस्ताव पर अपनी राय देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के अब 3 अगस्त को होगी।