दिल्ली के रोहिणी इलाके मे चल रहे आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में चल रही अवैध गतिविधियों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में शुक्रवार (22 दिसंबर) को सुनवाई हुई। कड़ा रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने आश्रम के संचालक बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित को 4 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई में पेश होने को कहा है।  कोर्ट ने आश्रम की गतिविधियों की जांच कर रही CBI को भी संस्थापक का पता लगाने को कहा है।

सुनवाई के दौरान आश्रम के वकील ने कहा कि उन्हें वीरेंद्र दीक्षित के बारे में जानकारी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हम बाबा को लेकर वारंट जारी कर सकते हैं। गुरुवार को हाईकोर्ट ने वकील से बाबा के बारे में जानकारी मांगी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं और नाबालिग बच्चियों को जानवरों की तरह पिंजरे में रखा गया है यह किस तरह का अध्यात्म है?

दिल्ली हाईकोर्ट ने ने दिल्ली में मौजूद बाबा के सभी आठ आश्रम की जांच करने और इसकी  रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है। कोर्ट ने जांच के दौरान कानून व्यस्था को बनाये रखने का भी निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने आश्रम से भी लिस्ट मांगी है।

हाईकोर्ट ने आश्रम की रुचि गुप्ता से कहा कि क्यों न उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत मुकदमा चलाया जाए। कोर्ट ने रुचि गुप्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया है जिसका 10 दिनों के भीतर जवाब देना है। कोर्ट ने कहा कि जांच में किसी तरह की रुकावट करना कोर्ट की अवमानन है। कोर्ट ने आश्रम को चेताया कि अगर कोर्ट किसी को भेजता है तो आप उसे हाथ नही लगा सकते।

बता दें कि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिए हैं। इस आश्रम में नाबालिग लड़कियों को बंधक बनाकर रखने और आध्यात्मिक शिक्षा देने के नाम पर उनका यौन शोषण करने का आरोप है।

दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के निर्देश पर मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को आश्रम मे छापेमारी की गई थी, कोर्ट ने कहा था कि ऐसा ना हो कि यहां भी हरियाणा के सिरसा जैसे हालत हों जहां धर्म के नाम पर शोषण का काम हो रहा था, ऐसे में हालात बेहद खतरनाक हो सकते हैं और भगवान के प्रवचन के नाम पर यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

CBI, पुलिस और दिल्ली महिला आयोग की टीम गुरुवार को जब फिर से आश्रम पर छापेमारी करने पहुंची तो आश्रम के लोगों ने उन्हें कमरों की चाबियां नहीं दी आखिर में पुलिस ने करीब 14 दरवाज़ों के ताले तोड़ दिए। 9 घंटे चली कार्रवाई के बाद यहां से 41 नाबालिग लड़कियों को छुड़ाया गया। बाद में सभी लड़कियों को शेल्टर होम भेज दिया गया। कहा जा रहा है कि आश्रम में अभी भी 150 से ज़्यादा लड़कियां और महिलाएं हैं।

फाउंडेशन ऑफ सोशल एमपॉवरमेंट नाम के एक NGO की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। याचिका में कहा गया कि आश्रम में काफी संख्या में लड़कियों को बंदक बनाकर रखा गया है और उनका यौन शोषण होता है। आश्रम में रह रही लड़कियों के परिजनों को भी इनसे मिलने नहीं दिया जाता। आरोप यह भी है कि यहां एक लड़की से बलात्कार हुआ, लेकिन उसकी शिकायत पर FIR दर्ज़ नहीं की गई।

आश्रम से भागी एक पीड़ित युवती ने हाईकोर्ट में कहा कि आश्रम में बहुत से ऐसे लोग हैं जो नाबालिग युवतियों से बातचीत कर उनका ब्रेनवाश करते हैं और फिर यौन शोषण करते हैं। युवती ने अपने बयान में कहा कि उसके परिजनों ने दो महीने के कोर्स के लिए आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में उसका दाखिला करवाया गया था लेकिन इस दौरान यहां उसका यौन शोषण किया गया। इसके बाद ही दिल्ली हाईकोर्ट ने पूरे मामले में सख्त रुख अपनाते हुए छापेमारी और CBI जांच के आदेश दिए।

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