Delhi High Court: एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे 70 वर्षीय मरीज को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम निर्देश दिए हैं। मरीज की जान बचाने के लिए उसके घर अल्ट्रासाउंड मशीन ले जाने की अनुमति दी है।कोर्ट ने साफ कहा कि पीएनडीटी एक्ट लागू करने का मकसद लिंग परीक्षण के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन के दुरुपयोग को रोकना है। बावजूद इसके असाधारण परिस्थितियों में अदालतें हमेशा अल्ट्रासाउंड मशीन के इस्तेमाल को अपवाद बना सकतीं हैं।
Delhi High Court: फोर्टिस अस्पताल प्रबंधन को दिए निर्देश
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव नरूला ने आदेश में कहा कि पीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों को लागू किया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति के जीवन के अधिकार का हनन होगा। यह टिप्पणी करते हुए उन्होंने फोर्टिस अस्पताल प्रबंधन को अल्ट्रासाउंड मशीन मरीज के घर ले जाने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि आपातकालीन स्थिति में जहां मरीज उस स्थान पर ले जाने की स्थिति में नहीं है, जहां अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध है। ऐसे में पीएनडीटी प्रावधान और सरकारी सूचना आड़े नहीं आ सकती है।
Delhi High Court: अस्पताल में बिगड़ी हालत
याचिकाकर्ता मरीज प्रोग्रेसिव सुपरन्यूक्लियर पाल्सी नामक बीमारी से ग्रसित है। ये बीमारी मस्तिष्क और तंत्रिका कोशिकाओं पर हमला करती है। मरीज का इलाज घर पर बने आईसीयू में ही किया जा रहा है। जब कोर्ट को इस बात से अवगत कराया गया कि अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए जब मरीज को अस्पताल ले जाया गया। वहां उनकी हालत अधिक बिगड़ गई। इसीलिए घर ही अल्ट्रासाउंड मशीन ले जाने की अनुमति मांगी गई।
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