Delhi High Court: केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान खारिज कर दिया है।कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, इस योजना को लाने का मकसद हमारी सेनाओं को बेहतर तरीके से तैयार करने का है,जोकि देशहित में है। ऐसे में जो लोग पुरानी नीति के आधार पर ही नियुक्ति की मांग कर रहे थे। कोर्ट ने उनकी मांग को भी ये कहते हुए खारिज किया कि मांग जायज नहीं है।
Delhi High Court: सुप्रीम कोर्ट ने मामला दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया था
Delhi High Court: देश के अलग-अलग भागों में अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन भी हुए। इस दौरान इस योजना के विरोध में एक याचिका दायर की गई थी।इसके बाद पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और शीर्ष अदालत ने सभी मामलों की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर की थी।सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया।
केंद्र ने अपना तर्क देते हुए कहा था कि अग्निपथ योजना डिफेंस रिक्रूटमेंट में किए गए सबसे बड़े नीतिगत बदलावों में से एक है।सेना में भर्ती प्रक्रिया में ये बहुत बड़ा बदलाव होगा।इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने 15 दिसंबर को ही अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
Delhi High Court: 4 साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे उम्मीदवार-बोले याचिकाकर्ता
Delhi High Court: दूसरी तरफ याचिकाकर्ताओं की ओर से दावा किया कि बाकी 75 प्रतिशत उम्मीदवार 4 साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे। उनके लिए कोई योजना भी नहीं है।याचिकाकर्ताओं में से एक ने 12 दिसंबर को तर्क दिया था। 6 महीने में, मुझे शारीरिक सहनशक्ति विकसित करनी है और हथियारों का इस्तेमाल करना सीखना है।
ऐसे में 6 महीने बहुत कम समय है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने जा रहे हैं। इस बारे में भी तर्क दिए गए कि क्या अग्निवीरों के 4 साल के कार्यकाल को उनकी समग्र सेवा में गिना जाएगा। जब उनमें से एक चौथाई सेना में शामिल हो जाएंगे।
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