सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने अखिल भारतीय हिंदू महासभा की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि याचिका पर जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का कहना है कि जनवरी के पहले हफ्ते में सुनवाई होगी। उन्होंने पहले ही इस मामले में तारीख दी हुई है। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर इससे पहले 29 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। इस सुनवाई में चीफ जस्टिस ने सुनवाई टाल दी थी और जनवरी, 2019 की तारीख दी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाने से संत समाज में काफी रोष पैदा हुआ था।
अयोध्या मामले की जल्द सुनवाई से #सुप्रीमकोर्ट ने मना किया। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के वकील का आग्रह ठुकराते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- हमने जनवरी के पहले हफ्ते में सुनवाई की तारीख लगाई है। हम इसे जल्दी करने की कोई ज़रूरत नहीं समझते|
— APN न्यूज़ हिंदी (@apnlivehindi) November 12, 2018
बता दें कि इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के. एम जोसफ की पीठ कर रही है। मामले पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरुल हसन रिजवी का कहना है कि विवादित स्थान पर राम मंदिर बनना चाहिए ताकि देश का मुसलमान सुकून, सुरक्षा और सम्मान के साथ रह सके। उन्होंने आगे कहा कि देश में शांति और भाईचारा मजबूत हो सके इसके लिए कोर्ट को जल्द फैसला करना चाहिए।
गौरतलब है कि अयोध्या मामले पर कुछ मुस्लिम संगठनों ने आयोग को एप्लीकेशन दी है। साथ ही इस मामले में आयोग से पहल करने की भी मांग की है। इन एप्लीकेशन पर आयोग 14 नवंबर को होने वाली मासिक बैठक में विचार करेगा। जिसके बाद आयोग सुप्रीम कोर्ट से मामले पर जल्द सुनवाई करने को भी कहेगा।
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हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए। इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में ये केस बीते 8 साल से है। 2019 के आम चुनावसे पहले इस मसले ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है।