Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 की आईटीआई अनुदेशक भर्ती घोटाले की जांच में हो रही देरी पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।गौरतलब है कि सतर्कता विभाग की ओर से जांच पिछले 5 वर्षों से की जा रही है। ऐसे में मामले की जांच अब स्थानांतरित कर सीबीआई को सौंपे जाने पर एक याचिका कोर्ट में दायर की गई है। दाखिल याचिका पर कोर्ट ने 6 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
ये आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने अरविंद कुमार, रविंद्र और हरिओम की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया।
Allahabad HC: घोटाले में शीर्ष अधिकारी संलिप्त होने का आरोप
याचिका पर वकील अंकुर शर्मा और सीबीआई के वकील संजय यादव ने बहस की।उनका कहना था कि 2498 अनुदेशकों के पद सपा सरकार के समय विज्ञापित किए गए थे।इस दौरान भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं के आरोपों की जांच सतर्कता विभाग को सौंपी गई थी। इसमें 57 अधिकारियों और अन्य के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। याची का कहना है कि घोटाले में शीर्ष अधिकारियों की संलिप्तता के कारण जांच पूरी नहीं हो पा रही है।इसलिए सीबीआई जांच कराई जाए।
Allahabad HC: जमीन विवाद में निषेधाज्ञा देने पर हाईकोर्ट नाराज, मनमानी पर अंकुश लगाने के निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति विवादों में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मनमाने तरीके से निषेधाज्ञा जैसे आदेश करने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई है।
कोर्ट ने अधिकारियों को आगाह किया है कि मनमाने आदेश न करें। प्रमुख सचिव सभी जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करे कि भूमि संबंधी निजी विवादों में वे निषेधाज्ञा जैसे आदेश जारी न करें।ये काम अदालतों का है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने मथुरा के श्री एनर्जी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर दिया है।
याचिका पर वकील क्षितिज शैलेंद्र ने बहस की। इनका कहना था कि याची ने मेरठ-हापुड़ रोड पर आवासीय योजना का निर्माण शुरू किया। यह क्षेत्र प्रदेश सरकार की अधिसूचना के बाद मथुरा नगर निगम की सीमा में आ गया था। याची ने मथुरा विकास प्राधिकरण से भवन का नक्शा भी पास कराया है।
इसके बावजूद कुछ लोगों ने याची को परेशान करने की नीयत से एसडीएम सदर को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर कहा कि कृषि भूमि पर निर्माण हो रहा है।
Allahabad HC: प्रशासन ने निर्माण पर लगाई रोक
यह भू-राजस्व अधिकारियों के क्षेत्राधिकार में आती है। एसडीएम सदर ने तथ्यों की जांच किए बगैर एकपक्षीय निषेधाज्ञा का आदेश कर दिया। निर्माण पर रोक लगा दी।
कोर्ट ने एसडीएम सदर, मथुरा के निषेधाज्ञा का आदेश करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट में ऐसी याचिकाओं की बाढ़ आ गई है। जिनमें प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जमीन संबंधी विवादों में मनमाने तरीके से निषेधाज्ञा के आदेश को चुनौती दी गई है। ऐसा करके राज्य सरकार के आदेशों की ही अनदेखी की जा रही है।कोर्ट ने डीएम मथुरा को आदेश दिया कि स्वयं इस मामले की जांच कर सकारण आदेश करें। यदि याची का दावा सही पाया जाता है तो उसके निर्माण कार्य करने में हस्तक्षेप न किया जाए।
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