आधार की संवैधानिकता के मामले में बुधवार (24 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि आधार के डाटा को हैक किया जा सकता है और वो इसका डेमो देने के लिए भी तैयार हैं। साथ ही अमेरिकन और यूरोपीयन देशों के जजमेंट का भी जिक्र किया गया जिसमें स्टेट सर्विलांस के खिलाफ बात कही गई है।
आधार पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट श्याम दीवान ने दो एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए और उसे कोर्ट के सामने पढ़कर भी सुनाया। इन्हें दो साइबर एक्सपर्ट ने दिया है जिसमे उन्होंने बताया है कि आधार कार्ड के लिए डाटा कैसे लिया जाता है और उसको कितनी आसानी से हैक कर किसी भी थर्ड पार्टी को दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए दोनों साइबर एक्सपर्ट बेंच के सवालों का जवाब देने और डेमो देकर समझाने को भी तैयार हैं। वह कोर्ट को बता सकते हैं कि कैसे फिंगर प्रिंट को कॉपी किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल थर्ड पार्टी कितनी आसानी से कर सकती है।
श्याम दीवान ने कहा कि आधार के लिए जो भी डेटा लिया जा रहा है उसके लिए जो भी मशीनरी इस्तेमाल की जा रही है वो UIDAI की नहीं है और किसी न किसी कॉरपोरेट से किराये पर ली गई है जिससे डाटा हैक आसानी से किया जा सकता है। इसपर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आज के डिजिटल युग में कोई भी टेक्नोलॉजी सेफ नही है। इसका मतलब ये नहीं है कि हम इसका इस्तेमाल ही ना करें, हां ये जरूर है कि सरकार की ये जिम्मेदारी है कि डेटा प्रोटेक्ट करे। श्याम दीवान ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 13 भी इस बात की इजाज़त नही देता की किसी को कहीं ट्रैक किया जाये। वहीं जब डीवाई चंद्रचूड़ ने यह कहा कि आज तो आप गूगल के जरिये कहीं भी ट्रेस किये जा सकते हैं तो इसपर दीवान ने कहा कि की गूगल में ट्रेस होना खुद के लिए अपनी मर्जी से है लेकिन आधार में अपने निजी डाटा को देकर बिना मेरी इजाजत मुझे कहीं भी ट्रैक किया जा सकता है। बुधवार को याचिकाकर्ता की तरफ से प्राइवेसी को लेकर श्याम दीवान ने अमेरिकन और यूरोपीयन देशों के जजमेंट का भी जिक्र किया जिसमें स्टेट सर्विलांस के खिलाफ बात कही गई है और निजी स्वतंत्रता का समर्थन करता है। मामले की सुनवाई अब 30 जनवरी को होगी।