पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता के जीवन पर आधारित एक किताब लिखी है। जिसमें शर्मिष्ठा ने प्रणब मुखर्जी के जीवन से जुड़े कुछ किस्से लिखे हैं। ऐसा ही एक किस्सा इस किताब में आपको पढ़ने को मिलेगा। किताब ‘प्रणब माय फादर’ के ‘कांट स्क्वायर द सर्कल’ चैप्टर में ये किस्सा है। यह किस्सा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और प्रणब मुखर्जी से जुड़ा है।
जैसा कि किताब में लिखा है, ” एक बार की बात है प्रणब मुखर्जी तत्कालीन प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल के साथ विदेश यात्रा पर थे। उस समय मुखर्जी का मन आइसक्रीम खाने को हुआ। फिर क्या था प्रणब मुखर्जी ने आइसक्रीम खाई। हालांकि इंदिरा गांधी ने उन्हें होटल की लॉबी में ऐसा करते रंगे हाथ पकड़ लिया था। इसके बाद इंदिरा गांधी ने पीलू मोदी को बुलावा भेजा। पीलू भी उसी प्रतिनिधिमंडल के साथ थे। पीलू अपने मोटापे के लिए भी जाने जाते थे। पीलू को सामने कर उन्होंने प्रणब मुखर्जी से कहा, तुम देख रहे हो पीलू का पेट कैसे बाहर आ रहा है , अगर तुम खुद को कंट्रोल नहीं करोगे तो तुम भी ऐसे ही हो जाओगे।”
एक और किस्से के बारे में शर्मिष्ठा बताती हैं कि इंदिरा गांधी ने एक बार प्रणब मुखर्जी को उनकी अंग्रेजी के लिए टोका और कहा कि प्रणब तुम एक ट्यूटर क्यों नहीं रख लेते? बार-बार टोके जाने पर मुखर्जी गुस्सा हो गए और उन्होंने कहा कि मैडम मैं जैसा हूं आपको सहना पड़ेगा। मैं स्क्वायर को सर्कल तो नहीं बना सकता।
किताब में बताया गया है कि इंदिरा गांधी का ध्यान मुखर्जी पर सबसे पहले तब गया था जब मुखर्जी राज्यसभा में भाषण दे रहे थे , सौभाग्य से इंदिरा गांधी भी वहां मौजूद थीं। इसके बाद इंदिरा प्रणब मुखर्जी से मिलीं। प्रिवी पर्स मामले पर पहली बार इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी से सलाह मशविरा किया था। मुखर्जी 1972 में कांग्रेस में शामिल हुए और समय के साथ इंदिरा गांधी के करीबी लोगों में शुमार हो गए। शर्मिष्ठा मुखर्जी लिखती हैं कि प्रणब इंदिरा गांधी का दिया हर एक छोटा काम भी कर के देते थे इस चलते वह इंदिरा के भरोसेमंद सिपाही बन गए थे।
एक बार इंदिरा गांधी ने मजाकिया लहजे में कहा था कि प्रणब को संसद की सफाई का काम दे देना चाहिए क्योंकि वह सबसे पहले सदन में आते हैं और सबसे आखिर में जाते हैं। दरअसल मुखर्जी का संसद की कार्यवाही से गहरा लगाव रहा। वे संसद की कार्यवाही में हमेशा शामिल रहते थे और एक भी दिन गायब नहीं होते थे।
एक और मजाकिया किस्सा हुआ जब प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी को गुलदस्ता देने पहुंचे। इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी की कदकाठी पर चुटकी लेते हुए कहा कि प्रणब ये गुलदस्ता खुद तुम्हारे जितना है। ऐसे ही साल 1982 में जब मुखर्जी ने बतौर वित्त मंत्री अपना पहला बजट पेश किया तो इंदिरा गांधी ने कहा था, देश के अब तक के सबसे छोटे वित्त मंत्री का सबसे लंबा भाषण।
एक और किस्सा है। जब प्रणब मुखर्जी पहली बार इंदिरा सरकार में मंत्री बने तो पीएम ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया। वे अपनी आधी बाजू की कमीज पहन इंदिरा गांधी से मिलने पहुंच गए । इसके बाद इंदिरा गांधी ने मुखर्जी को जमकर सुनाया। उन्होंने कहा, ”प्रणब अब तुम मंत्री हो गए हो। तुमको इतने लोगों से मिलना होगा। अब फॉर्मल पहनना शुरू करो।” किताब में न जाने ऐसे कितने किस्से हैं।
पुस्तक के बारे में:
प्रकाशक- रूपा पब्लिकेशन
मूल्य- 795 रुपये (हार्डकवर)
पृष्ठ संख्या- 380