कहते हैं कि इस दुनिया में माता-पिता बनने का सुख सबसे बड़ा सुख होता है। इस सुख के आगे दुनिया के सभी सुख फीके है, लेकिन कुछ दंपति शारीरिक दिक्कतों के कारण इस सुख से अनभिज्ञ रह जाते है। अमीर दंपति तो इलाज कराकर इस सुख को पा लेते है लेकिन गरीब दंपति पैसो के अभाव में इस सुख को नहीं ले पाते है।

यूपी सरकार अब बांझपन के समस्यां से जूझ रहे गरीब दंपति को माता-पिता बनने का सुख देने की कोशिश कर रही है। यूपी सरकार ने पहली बार सरकारी अस्पतालों में ऐसे पुरुषों और महिलाओं को फ्री इलाज देने की व्यवस्था की है, जो शारिरिक दिक्कतों के कारण मां-बाप नहीं बन सकते।

यूपी के लखनऊ के गोमतीनगर स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त अस्पताल में यह व्यवस्था शुरू की गयी है। यह प्रदेश का पहला राजकीय अस्पताल होगा जिसमें इन्फर्टिलिटी क्लीनिक प्रारभ्भ होगी। इसमें इन्फर्टिलिटी से संबंधित पुरूषों एवं महिलाओं की समस्त जाँचें, परामर्श एवं इन्ट्रा युट्राईन इन्सेमीनेशन (आईयूआई) यानी कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया निःशुल्क प्राप्त होगी। बता दें कि इस क्लिनिक का उद्घाटन आज प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने किया।

अस्पताल के  निदेशक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि इन्फर्टिलिटी महिलाओं और पुरूषों में कई कारणों से होती है। यह एक शारीरिक बीमारी न होकर सामाजिक और मानसिक समस्या भी है।

उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश दंपतियों में यह प्राइमरी समस्या होती है, सेकेन्डरी इन्फर्टिलिटी महिला के जीवन में पहले प्रसव के बाद कभी भी हो सकती है। पूरे विश्व में लगभग 50 से 80 करोड़ दंपती एवं भारत में 13 से 19 करोड़ दंपति इन्फर्टिलिटी की समस्या से ग्रसित है।

उन्होंने बताया कि इन्फर्टिलिटी 30 प्रतिशत महिला में, 30 प्रतिशत पुरुषों में एवं 40 प्रतिशत पुरुष एवं महिला दोनों में कमियों की वजह से होती है। इन्फर्टिलिटी का मुख्य कारण बच्चेदानी की बनावट, हारमोन, इन्फैक्शन एवं आज के परिप्रेक्ष्य में पोलीसिस्टिक ओवरी सिनड्रोम (पीसीओएस) की वजह से होता है।

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