गांधी ने भारत को आजादी कैसे दिलाई? अगर कोई ये सवाल करता है तो सबसे पहले जुबान पर इसका जवाब यही आता है, सत्याग्रह। कुछ लोग इसे सविनय अवज्ञा भी कहते हैं। इतिहासकारों का एक पक्ष मानता है कि गांधी ने सबसे पहले सविनय अवज्ञा दांडी मार्च के दौरान की। लेकिन कुछ लोग इससे सहमत नहीं हैं। वे मानते हैं कि जिस दिन गांधी को दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से फेंक दिया गया था वह दिन सविनय अवज्ञा का पहला प्रयोग था।
गांधी का ट्रेन से फेंका जाना न सिर्फ वकील मोहनदास के जीवन का एक बदलावकारी मोड़ था बल्कि इस घटना ने आधुनिक इतिहास में अहम जगह पाई। आइए बताते हैं कि आखिर 7 जून को हुआ क्या था? 7 जून 1893, को एक युवा वकील मोहनदास करमचंद गांधी को दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से फेंक दिया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि गांधी ने यात्रा करने के रंगभेदी नियमों को मानने से इंकार कर दिया था।
गांधी डरबन से प्रिटोरिया की यात्रा कर रहे थे। उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था। इस बीच एक यूरोपियन शख्स आया और उसने अधिकारियों से शिकायत की कि शख्स जो कि श्वेत नहीं है उसे ट्रेन के इस कोच से निकाला जाए। इसके बाद जब मोहनदास ने दूसरे कोच में जाने से इंकार कर दिया तो रेलवे अधिकारियों ने उन्हें पीटरमैरिट्सबर्ग रेलवे स्टेशन पर फेंक दिया।

दरअसल गांधी वकालत करने एक साल के लिए दक्षिण अफ्रीका गए थे। हालांकि इस घटना ने सबकुछ बदल के रख दिया और गांधी ने फैसला किया कि वे वहां रहकर रंगभेद के खिलाफ लड़ेंगे। यहीं उन्होंने सविनय अवज्ञा का अविष्कार किया।
गांधी ने इस घटना के बारे में ‘सत्य के प्रयोग’ में लिखा, ”क्या मुझे अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए या भारत वापिस चले जाना चाहिए या इस अपमान को भुलाकर प्रिटोरिया चले जाना चाहिए और केस लड़कर भारत लौट जाना चाहिए? अपना कर्तव्य निभाए बिना भाग जाना कायरता होगी।”
इसके बाद गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने नाटल में कांग्रेस की स्थापना की और लोगों के नेता बने। गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले सत्याग्रह का इस्तेमाल किया। गांधी ने 1914 में दक्षिण अफ्रीका छोड़ा। आपको बता दें कि जिस स्टेशन पर गांधी को फेंका गया था। बाद में 2011 में उस स्टेशन का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया।