रविवार को केरल के एर्नाकुलम में यहोवा विटनेस समुदाय की एक सभा में सिलसिलेवार धमाके हुए। हमले में दो महिलाओं की मौत हो गई और 50 से ज्यादा घायल हो गए। इस हमले के पीछे डोमिनिक मार्टिन नाम का व्यक्ति था और वह पहले इसी समुदाय में था। मार्टिन ने धमाके की जगह से लगभग 40 किलोमीटर दूर त्रिशूर के एक पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण कर दिया है। केरल में हुए इस विस्फोट ने भारत में यहोवा विटनेस समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ा दी हैं। जानकारी के लिए बता दें कि भारत में इस समुदाय के लगभग 60,000 अनुयायी हैं।
यहोवा विटनेस कौन हैं?
यहोवा विटनेस एक अंतरराष्ट्रीय ईसाई संप्रदाय है जिसकी शुरुआत 1870 के आसपास अमेरिका में हुई थी। यह समुदाय कई देशों में घर-घर जाकर प्रचार करने के लिए जाना जाता है। यह ईसाई धर्म के कुछ विचारों को स्वीकार करता है और मानता है कि दुनिया बहुत जल्द खत्म हो जाएगी। समुदाय ईसा मसीह में विश्वास करता है लेकिन यह नहीं मानता कि वह सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं। यह समुदाय यीशु के नाम पर प्रार्थना करता है। हालांकि, यह खुद को ईसाई से अलग बताते हैं।
उदाहरण के लिए, यहोवा विटनेस मानते हैं कि बाइबल सिखाती है कि यीशु ईश्वर का पुत्र है। वह यह नहीं मानते हैं कि आत्मा अमर है। वे यही नहीं मानते कि ईश्वर लोगों को नरक में अनंत काल तक यातना देता है। ये लोग मानते हैं कि धार्मिक गतिविधियों में नेतृत्व करने वालों के पास ऐसी उपाधियां नहीं होनी चाहिए जो उन्हें दूसरों से ऊपर उठाएं।
भारत में यहोवा विटनेस समुदाय
यहोवा के विटनेस 1905 से भारत में रहते आ रहे हैं। समुदाय ने 1926 में मुंबई में एक कार्यालय स्थापित किया था और 1978 में कानूनी पंजीकरण प्राप्त किया। समुदाय से जुड़ा एक ऐतिहासिक मामला बिजो इमैनुएल बनाम केरल राज्य था। इस मामले में समुदाय के तीन बच्चों- बिजो, बीनू मोल और बिंदू इमैनुएल को 1985 में स्कूल से निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने भारत का राष्ट्रगान गाने से इनकार कर दिया था।
अदालती दस्तावेजों के अनुसार, जब सुबह की सभा के दौरान राष्ट्रगान बजाया गया, तो बच्चे सम्मानपूर्वक खड़े हुए, लेकिन इन्होंने राष्ट्रगान गाया नहीं क्योंकि यह यहोवा विटनेस की धार्मिक आस्था के खिलाफ था। स्कूल से निकाले जाने पर, उनके पिता ने केरल उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि उनके बच्चों को स्कूल से निकाला जाना अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 25 के तहत धर्म की स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने मामले को खारिज कर दिया। यह पाया गया कि राष्ट्रगान में “कोई भी शब्द या विचार” धार्मिक मान्यताओं को ठेस नहीं पहुंचाता है।
बाद में बच्चों के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। शीर्ष अदालत ने पाया कि मामले में Prevention of Insults to National Honour Act of 1971 की धारा 2, “जो कोई भी, जानबूझकर राष्ट्रगान गाने से रोकता है या ऐसे गायन में लगी किसी भी सभा में व्यवधान पैदा करता है, उसे दंडित किया जाएगा”, लागू नहीं होती है।
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि स्कूल से निष्कासन बच्चों की अभिव्यक्ति और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है। तदनुसार, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया और तत्कालीन केरल सरकार को बच्चों को फिर से स्कूल में प्रवेश देने का आदेश दिया।
सिलसिलेवार धमाकों ने समुदाय को हिलाकर रख दिया
बता दें कि कलामासेरी में तीन दिवसीय यहोवा विटनेस के सम्मेलन में सिलसिलेवार विस्फोटों में दो महिलाओं की मौत हो गई और 50 से अधिक अन्य घायल हो गए। मामले पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि 17 लोग ICU में हैं और पांच की हालत गंभीर है। इससे पहले राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया था कि 95% जल चुकी 12 साल की लड़की की हालत भी गंभीर है।
डोमिनिक मार्टिन ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया। गायब होने से चार घंटे पहले फेसबुक पर मौजूद वीडियो में मार्टिन ने कहा, “मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी ले रहा हूं। मैंने बम विस्फोट किया। मैं यह वीडियो यह स्पष्ट करने के लिए बना रहा हूं कि मैंने ऐसा क्यों किया।”
उसने जल्द ही त्रिशूर के पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने कहा, “कोच्चि में डोमिनिक से अभी भी पूछताछ की जा रही है। वह हमारी हिरासत में है लेकिन हमने अब तक उसकी गिरफ्तारी दर्ज नहीं की है।”
पुलिस ने कहा, “हम अभी भी उनके बयान की सत्यता का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, इसमें कुछ समय लगेगा। हम अभी मामले में उनकी संलिप्तता की पुष्टि करने की स्थिति में नहीं हैं, जांच जारी है।”