15 नवंबर 2022 को भारत सरकार ने बताया कि भारत और रूस (India and Russia) के बीच व्यापार करने के लिए रुपए में भुगतान करने के लिये दो भारतीय बैंकों (यूको बैंक और इंडसइंड बैंक – UCO and Indusind) में नौ विशेष वोस्ट्रो खाते (VOSTRO Accounts) खोलने की अनुमति दे दी गई है.
इसके साथ ही रूस के दो सबसे बड़े बैंकों ‘Sberbank’ और ‘VTB’ ऐसे पहले विदेशी कर्जदाता बन गए हैं जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक (International Trade) लेन-देन करने की मंजूरी मिली है.
वोस्ट्रो खाता, नोस्ट्रो खाते (VOSTRO and NOSTRO Accounts) का ही एक अन्य नाम है. वोस्ट्रो बैंक खाता एक बैंक द्वारा नियोजित खाता होता है जो अपने ग्राहकों को दूसरे बैंक की ओर से पैसा जमा करने की सुविधा देता है.
कहां से हुई थी शुरुआत?
11 जुलाई 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिये भारतीय करंसी रुपए में अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के लिये एक क्रियाविधि का पेश किया था, जिसमें भारत द्वारा निर्यात पर जोर दिया गया था, साथ ही रुपए को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में पहचान दिलाने के लिये प्रयास किया गया था. इसके माध्यम से रूस जैसे देश जो कई देशों के प्रतिबंध झेल रहे हैं, आदि प्रभावित देशों के साथ व्यापार को बढ़ाने की भी परिक्लपना की गई है.
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किए गए नियमों के अनुसार, हिस्सा लेने वाले देशों के बैंक विशेष रुपए वास्ट्रो खाता खोलने के लिये भारत में रजिस्टर्ड बैंकों से संपर्क कर सकते हैं. इसके बाद अधिकृत बैंक को ऐसी व्यवस्था के विवरण के साथ केंद्रीय बैंक से मंजूरी लेनी होती है.
नोस्ट्रो खाता (NOSTRO Accounts)
नोस्ट्रो खाता एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक में खोला गया खाता होता है. इससे ग्राहकों को किसी दूसरे बैंक के खाते में पैसा जमा करने की सुविधा मिलती है. ज्यादातर मामलों में इसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी बैंक की विदेश में कोई शाखा नहीं होती है. नोस्ट्रो एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘हमारा (ours)’. आम लोगों के लिए खोले जाने वाले जमा खाते और नोस्ट्रो खाते के बीच बड़े फर्क ये होता है कि आमतौर पर खोले जाने वाले खाते (जैसे हम सब लोग बैंकों में खुलवाते हैं) व्यक्तिगत जमाकर्ताओं के लिए होते हैं, वहीं विदेशी संस्थानों के पास नोस्ट्रो खाता होता है.
वोस्ट्रो खाता (VOSTRO Accounts)
वोस्ट्रो का लैटिन भाषा में अर्थ होता है तुम्हारा (yours). खाता खोलने वाले बैंक के लिये नोस्ट्रो खाता, एक वोस्ट्रो खाता होता है. यदि कोई व्यक्ति वोस्ट्रो खाते में पैसा जमा करता है तो यह खाताधारक के बैंक में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
RBI की मंजूरी के साथ नोस्ट्रो और वोस्ट्रो खाते, विदेशी मूल्यवर्ग में खोले जाते हैं. वोस्ट्रो खाते के जरिए घरेलू बैंक, वैश्विक बैंकिंग की जरूरत वाले ग्राहकों को अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हैं. वोस्ट्रो खाता सेवाओं में वायर ट्रांसफर को निपटाना, विदेशी विनिमय करना (Foreign Exchange), जमा और निकालना करना व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में तेजी लाना शामिल है.
रुपया भुगतान सिस्टम (Rupee Settlement System)
अभी RBI द्वारा भारत में अधिकृत बैंकों को रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की मंजूरी दी गई है. इस सिस्टम के माध्यम से आयात करने वाले भारतीय आयातक अपने निर्यातकों को भारतीय रुपए में भुगतान कर सकेंगे, इसमें विदेशी विक्रेता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के लिये चालान भागीदार देश के अधिकृत बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा.
इस सिस्टम का उपयोग करने वाले भारतीय निर्यातकों (Exporters) को भागीदार देश (इस मामलें में रूस) के अधिकृत बैंक के नामित विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा शेष राशि से निर्यात का भुगतान भारतीय रुपए में किया जाएगा. भारतीय निर्यातक RBI के इस रुपए भुगतान तंत्र के माध्यम से विदेशी आयातकों से भारतीय रुपए में निर्यात के लिये अग्रिम भुगतान ले सकेंगे.

निर्यातकों के लिये अग्रिम भुगतान की ऐसी किसी भी प्राप्ति को मंजूरी देने से पहले भारतीय बैंकों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत पड़ेगी कि इन खातों में मौजूद धनराशि का उपयोग पहले से ही निष्पादित निर्यात आदेशों / पाइपलाइन में निर्यात भुगतान से उत्पन्न भुगतान की प्रतिबधताओं के लिये किया जाता है. विशेष वोस्ट्रो अकाउंट में बची हुई राशि का उपयोग निम्नलिखित के लिये किया जा सकता है: परियोजनाओं और निवेशों के लिये भुगतान, निर्यात / आयात, अग्रिम प्रवाह प्रबंधन, सरकारी प्रतिभूतियों (Government Bonds) में निवेश आदि.
अभी तक कैसे हो रहा था भुगतान?
अभी भारत में यदि कोई कंपनी निर्यात या आयात करती है, तो लेन-देन (नेपाल और भूटान जैसे देशों को छोड़कर) हमेशा एक विदेशी मुद्रा में होता है. इसलिये आयात के मामले में भारतीय कंपनी को अपने निर्यातकों को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है. अभी आयात के लिए भारत को मुख्य रूप से डॉलर चुकाना पड़ता है. इसके अलावा पाउंड, यूरो, येन आदि मुद्राओं में भी भुगतान की तैयारी चल रही है.
निर्यात के मामले में भारतीय कंपनी को भी विदेशी मुद्रा में भुगतान किया जाता है और कंपनी उस विदेशी मुद्रा को रुपए में बदलती है क्योंकि उसे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पुरा करने के लिये रुपए की आवश्यकता होती है.
नये सिस्टम से क्या बदलेगा?
RBI की यह नीति वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारतीय रुपए के प्रति वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन करेगी. वहीं जब से पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, भुगतान की समस्या के कारण रूस के साथ व्यापार तो बढ़ रहा है लेकिन भुगतान को लेकर लगातार समस्याएं खड़ी हो रही हैं. RBI द्वारा शुरू किये गए व्यापार सुविधा सिस्टम के चलते रूस के साथ भुगतान संबंधी मुद्दे को हल करना आसान हो गया है.
विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव भी बड़ी समस्या
देश में अकसर डॉलर के रिकार्ड रेटों को लेकर भी चर्चा का माहौल बना रहता है, इस कदम से देश में विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव का जोखिम भी कम होगा, क्योंकि हमारी एक करंसी के प्रति प्रतिबद्धता कम होगी. इसके अलावा इस सिस्टम का एक ओर उद्देश्य रुपए में लगातार गिरावट के दौरान व्यापार के भुगतान के निपटान में रुपए को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा की मांग को कम करना है.