ब्रिटेन ने फिर एक बार कहा है कि वह भारत को न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) का सदस्य बनाने का ‘बिना शर्त’ समर्थन करता है। ब्रिटेन ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय न्यूक्लियर व्यापार की जवाबदेही वाले इस संभ्रांत समूह में प्रवेश के लिए भारत पूरी योग्यता रखता है। भारतीय विदेश मंत्रालय और ब्रिटेन के फॉरेन ऐंड कॉमनवेल्थ ऑफिस के अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद कुछ राजनयिक सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन भारत को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक चलने वाली व्यवस्था का मुख्य सदस्य और संरक्षक मानता है। गौरतलब है कि NSG में भारत के प्रवेश का चीन विरोध कर रहा है, लेकिन भारत अपनी दावेदारी के लिए नए सिरे से आवाज उठा रहा है।

हाल में अमेरिका के साथ हुए 2+2 डायलॉग में अमेरिका ने भी भारत को जल्द से जल्द इस ग्रुप का सदस्य बनाने का समर्थन किया है। ब्रिटेन के साथ हुई बैठक के बाद एक राजनयिक ने कहा, ‘एनएसजी सदस्यता के लिए भारत वाजिब हकदार है और हमारा मानना है कि उसे सदस्य बनाना चाहिए। चीन के लोग ही यह बता सकते हैं कि आखिर उन्हें भारत की सदस्यता से क्या दिक्कत है। इस बैठक के दौरान भारत ने परमाणु अप्रसार के बारे में बात पर पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच संपर्कों का मसला उठाया।

बता दे की  नॉर्थ कोरिया और ईरान के मुद्दों पर भारत और ब्रिटेन एक जैसी अप्रोच रखते हैं। गुरुवार को वार्ता के बीच ब्रिटेन ने भारत के उस फैसले पर हैरानी जताई, जब भारत ने ब्रिटेन के प्रस्ताव का विरोध किया था। दरअसल, यह प्रस्ताव केमिकल हथियारों के इस्तेमाल से खतरों के विषय पर था, भारत ने इसके विरोध में वोट किया था।
ब्रिटेन ने कहा, ‘इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने वाले 24 देशों में भारत को देखकर हमें हैरानी हुई लेकिन हमें उम्मीद है कि भारत अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करेगा।’ बताते चलें कि ऑर्गनाइजेशन ऑफ प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपन्स (ओपीसीडब्ल्यू) के 82 देशों ने ब्रिटेन के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के बाद भारत ने कहा था, ‘हम कहीं भी, किसी भी वक्त, किसी भी परिस्थिति में और किसी पर भी रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ हैं।’

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