भारतीय बैंकों पर वैसे भी एनपीए का काफी बोझ है। ऐसे में वो और भी किसी भी तरह का बोझ नहीं लेना चाहती। ऐसे में अब किसी भी तरह की एडवांस प्रणाली या बदलाव होने पर अब बैंक राजस्व का खर्चा पब्लिक से लेने की सोच रही है। जी हां, अब एटीएम इस्तेमाल करना लोगों के लिए महंगा हो सकता है। आरबीआई ने सभी बैंकों को एटीएम अपग्रेडेशन का निर्देश दिया है, जिससे उन पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। बैंकों ने इसे ग्राहकों पर डालने के लिए आरबीआई से अनुमति मांगी है। हाल में एटीएम के जरिए हो रही धोखाधड़ी और हैकिंग की वजह से आरबीआई ने सभी बैंकों को एटीएम अपग्रेडेशन के निर्देश दिए हैं। आरबीआई ने इसकी समय सीमा भी तय कर दी हैं।
यह डेडलाइन 6 चरणों में बंटी हुई है जो अगस्त 2018 से शुरू होकर जून 2019 को खत्म होगा। मतलब जून 2019 तक हर बैंक को अपने ATM अपग्रेडेशन का काम पूरा करना होगा। बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि एटीएम अपग्रेडेशन की लागत वसूलने के लिए बैंक एटीएम ट्रांजैक्शन चार्ज में दो तरह से बढ़ोतरी कर सकते हैं। वे फ्री ट्रांजैक्शन खत्म होने पर लिए जाने वाले 18 रुपये वाले चार्ज में बढ़ोतरी कर सकते हैं या एटीएम से फ्री एटीएम ट्रांजैक्शंस की संख्या कम कर सकते हैं।
वर्तमान में सभी बैंक एटीएम पर होने वाले कैश ट्रांजेक्शन के लिए 15 रुपये और नॉन कैश ट्रांजेक्शन करने पर खाते से 5 रुपये काटते हैं। यह चार्ज हर महीने फ्री में मिलने वाले ट्रांजेक्शन के ऊपर लगता है। आरबीआई के इस निर्देश को लेकर एटीएम इंडस्ट्री का कहना है कि उसकी लागत बढ़ जाएगी। अगर लागत बढ़ेगी तो इसकी भरपाई के लिए इंडस्ट्री ने एटीएम चार्ज बढ़ाने की मांग रख दी है। बता दें कि एटीएम अपग्रेडेशन के तहत बैंकों को बेसिक इनपुट-आउटपुट सिस्टम यानी बीआईओएस को अपग्रेड करना होगा।