अब कचरे से भी बनेंगे Toys, जानिए क्या है ये पूरी योजना और कितना बड़ा है भारत का खिलौना बाजार

वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान, भारत में 2,960 करोड़ रुपये के Toys का आयात हुआ था. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान खिलौनों के आयात में 70 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट आई है और ये घटकर 877.8 करोड़ रुपये तक आ गए हैं.

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अब कचरे से भी बनेंगे Toys, जानिए क्या है ये पूरी योजना और कितना बड़ा है भारत का खिलौना बाजार - APN News

भारत सरकार द्वारा खिलौने (Toys) के आयात को रोकने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी के तहत खिलौना उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) खिलौना क्षेत्र में सर्कुलेरेटी प्राप्त करने की दिशा में एक कदम उठा रहा है.

खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत, मंत्रालय ने कचरे को खिलौनों में बदलने के लिए नये समाधान लाने की एक प्रतिस्‍पर्धा ‘स्वच्छ टॉयकाथन’ की शुरूआत की है. एमओएचयूए सचिव, मनोज जोशी द्वारा इस प्लेटफॉर्म की शुरूआत की गई और टूलकिट जारी किया. प्रतिस्‍पर्धा के दौरान खिलौने बनाने या सृजित करने के लिए कचरे के इस्‍तेमाल जैसा समाधान ढूंढने को कहा गया है.

भारत का खिलौना उद्योग

वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान, भारत में 2,960 करोड़ रुपये के Toys का आयात हुआ था. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान खिलौनों के आयात में 70 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट आई है और ये घटकर 877.8 करोड़ रुपये तक आ गए हैं.

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत से 2,601.5 करोड़ रुपये के खिलौनों का निर्यात किया गया है जो वित्त वर्ष 2018-19 के 1,612 करोड़ रुपये की तुलना में 61 फीसदी से अधिक है. भारत के खिलौनों के निर्यात ने अप्रैल-अगस्त 2022 में 2013 की समान अवधि के मुकाबले 636 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि दर्ज की है.

Toys
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वैश्विक खिलौना (Toys) बाजार करीब 100 बिलियन डॉलर यानि लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का है. जिसमें भारत का योगदान केवल 1.5 बिलियन डॉलर (12 हजार करोड़) के आसपास ही है. इसके अलावा भारत लगभग 80 फीसदी खिलौनों का आयात विदेशों से करता है.

भारत में खिलौना उद्योग एक लघु-स्तरीय उद्योग है, जिसमें ग्रामीण आबादी, दलित, गरीब लोग तथा आदिवासी आबादी के कारीगर शामिल हैं.

भारत का खिलौना उद्योग केंद्र सरकार से लगातार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को खिलौना क्षेत्र तक विस्तार करने और एक अलग निर्यात प्रोत्साहन परिषद की स्थापना करने की मांग कर रहा है.

वर्तमान में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना दवाओं, एसी, फ्रिज, सेमीकंडक्टर जैसे उपभोक्ता सामान सहित 14 क्षेत्रों के लिए लागू है. इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ाना और निर्यात को बढ़ावा देना है.

स्वच्छ टॉयकाथन

स्वच्छ टॉयकाथन व्यक्तियों और समूहों के लिए एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता है. यह तीन व्यापक विषयों पर आधारित है-

(i) फन एंड लर्न जो घर, कार्यस्थल और आसपास के कचरे से खिलौनों के डिजाइन और शुरुआती प्रोटोटाइप के लिए विचारों की तलाश करता है.

(ii) उपयोग और आनंद लें जो खेल के डिजाइन और मॉडल के लिए विचारों की तलाश करता है और कचरे से बने पार्क/खुले स्थानों में खेलने के लिए कहता है.

(iii) नया और पुराना जो खिलौना उद्योग में सर्कुलेरेटी के लिए विचार / समाधान / कार्य मॉडल चाहता है. कचरा और पुर्नचक्रित (Recycle) सामग्री, पर्यावरण के अनुकूल खिलौनों के प्रोटोटाइप और पैकेजिंग और खिलौना उद्योग पर पुनर्विचार करने वाले अन्य नवीन विचार शामिल हैं.

स्वच्छ टॉयकाथॉन’ का उद्देश्य

इस टॉयकाथॉन के माध्यम से आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय भारत में खिलौनों के निर्माण को बढ़ावा देना चाहता है. साथ ही स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल खिलौना उद्योग को बढ़ावा देना है. साथ ही भारत को वैश्विक खिलौना केंद्र के रूप में विकसित करने का भी प्रयास किया जायेगा. इसका उदेश्य भारत की खिलौना जरूरतों में आत्मनिर्भरता हासिल करना भी है.

प्रत्येक श्रेणी और विषयगत क्षेत्र से शीर्ष तीन प्रविष्टियों (Entries) को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा और आईआईटी गांधीनगर में रचनात्मक शिक्षण कार्यशालाओं की सुविधा प्रदान की जाएगी. जीतने वाले स्टार्ट-अप/व्यक्तियों को आईआईटी कानपुर द्वारा इनक्‍यूबेशन सहायता प्रदान की जाएगी, साथ ही शहरी स्‍थानीय निकायों के साथ सम्‍पर्क भी प्रदान किया जाएगा ताकि प्ले जोन डिजाइनों को लागू किया जा सके और खिलौना उद्योग पुरस्कृत डिजाइनों को बढ़ावा दे सके तथा उन्हें बढ़ा सके.