उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र सरकार को अस्तित्व में आज एक साल पूरा हो रहा है। इस अवसर पर सूबे में कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। देवभूमि उत्तराखंड में साल भर पहले उम्मीदों की सरकार सत्तासीन हुई तो पहाड़ की जनता को कई उम्मीदें जगीं।
संकल्प पत्र में बीजेपी ने कई वादे किए थे और उन पर अमल करने का दावा भी किया। अब साल भर पूरा होने पर सरकार अपनी उपलब्धियां गिना रही है तो विपक्ष सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। 18 मार्च, 2017 को उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र सरकार सत्ता में आई तो लोगों ने खूब नारे लगाए कि अब डबल इंजन की सरकार देवभूमि के विकास को और अधिक रफ्तार देगी।
मुख्यमन्त्री बनते ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक्शन में आए और विकास कार्यों पर खरा उतरने के साथ ही संकल्प पत्र के वादों को पूरा करने की कवायद भी शुरू कर दी। छोटे से राज्य में बीजेपी सरकार आते ही मोदी सरकार भी मेहरबान हो गई और उत्तराखंड पर धन की बरसात शुरू हो गई। सालभर में सरकार ने विकास कार्यों की दिशा में कई उपलब्धियां हासिल करने का दावा किया है।
सरकार दावा कर रही है कि करप्शन के मामले में ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। एनएच 74 घोटाले में कई अफसर जेल में हैं। स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ट्रांसफर एक्ट लागू किया गया है। ऊर्जा विभाग के राजस्व में 200 करोड़ की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। परिवहन विभाग ने भी सालभर में 140 करोड़ की बढ़ोत्तरी दर्ज की है। खनन विभाग में पहली बार ई ऑक्शन प्रणाली से राजस्व में 27 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
अब सरकार की तरफ से विकास पर खरा उतरने का दावा किया जा रहा है। उधर दूसरी तरफ विपक्ष सरकार के विकास के दावों पर सवाल खड़े कर रहा है। बहरहाल सरकार अपने दावों पर खरा उतरने का दावा कर रही है और विपक्ष कठघरे में खड़ा करने की हर संभव कोशिश कर रहा है। फिलहाल सरकार के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं क्योंकि जनता नेताओं की बयानबाजी नहीं कामकाज पर भरोसा करती है।
एपीएन ब्यूरो