पूरी दुनिया में कोरोना कहर बन कर बरपा है। इस मुश्किल से बचने के लिए लोग वैक्सीन की तरफ भाग रहे हैं। इस मुश्किल समय में कई देश ऐसे भी हैं जिनके पास खुद की वैक्सीन नहीं है वो दूसरे देशों पर निर्भर हैं। इसमें इस्लामिक देशों की संख्या सबसे अधिक है। इस बीच बहरीन और सेशेल्स को चीन से वैक्सीन लेना मंहगा पड़ गया।
दरअसल बहरीन और सेशेल्स उन देशों में से हैं जिन्होंने अपने अधिकतर नागरिकों को चीनी वैक्सीन सिनोवैक और सिनोफार्म लगवाई। लेकिन इसके बावजूद जब वहां कोविड-19 संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे तो इन देशों ने फिर फाइजर की वैक्सीन लगवानी शुरू कर दी। संयुक्त अरब अमीरात का स्वास्थ्य विभाग दुबई में उन लोगों को फिर से फाइजर की वैक्सीन लगवा रहा है जिन्होंने चीन में निर्मित सिनोफार्म की पूरी खुराक लगवा ली थी।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, बहरीन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारी संख्या में वैक्सीनेशन के बावजूद जब कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो रिस्क ग्रुप में आने वाले नागरिकों को फाइजर और BioNTech SE की वैक्सीन की खुराक दी जाने लगी है। बहरीन स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव वलीद खलीफा अल मानिया ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि, अब तक चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म की वैक्सीन बहरीन के 60 फीसदी से अधिक नागरिकों को लग चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि, बहरीन में कोरोना की मौजूदा लहर में जिन 90 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, उन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी। उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित, मोटापे के शिकार और 50 साल से अधिक उम्र वाले बहरीन के लोगों को फिर से छह महीने बाद Pfizer-BioNTech की वैक्सीन लगवाने का अनुरोध किया गया है।
बता दें कि, बहरीन के अधिकारी ने कहा, देश में चीन की वैक्सीन अगर कोई लगवाना चाहता है तो वो लगवा सकता है लेकिन अधिक उम्र वालों को फाइजर लगवाने की सलाह दी है। साथ ही खराब स्वास्थ्य वालों को भी इस सूची में शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि, सिनोफार्म और सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड की वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिल चुकी है। चीन ने सिनोफार्म और अपनी अन्य कोरोना वैक्सीन का अंतरराष्ट्रीय मंच पर कूटनीतिक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया है। खासकर के विकासशील देशों में चीन ने वैक्सीन भेजी जो अमेरिकी या यूरोपीय देशों में बनी वैक्सीन खरीदने में सक्षम नहीं थे। यह वैक्सीन पाकिस्तना में भी इस्तेमाल हो रही है।
वहीं एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि, चीनी वैक्सीन मरीजों पर 78 फीसदी ही कारगार है। गंभीर समस्या में यह कितना काम करती है इस मुद्दे पर कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है। वहीं एक और रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि, सिनोफार्म 60 साल से अधिक उम्र वालों के लिए कारगार साबित हो रही है।