नोटबंदी के संकट के समय अगर आम आदमी के पास कोई हथियार था तो वो मोबाइल वॉलेट था। इसी के बल पर करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी चल रही थी। मतलब, पैसों का आदान-प्रदान मोबाइल वॉलेट से ही हो रहा था। पेटीएम, एयरटेल मनी, जियो मनी, मोबिक्विक जैसे मोबाइल वॉलेट सेवा प्रदाता कंपनियां उस समय ग्राहकों के सबसे बड़े मददगार थे। लेकिन अब इस पर ग्रहण लग सकता है। जी हां, रिजर्व बैंक मार्च से देश भर में चल रहे कई मोबाइल वॉलेट बंद करने पर फैसला कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मोबाइल वॉलेट कंपनियों ने रिजर्व बैंक के एक अहम आदेश को पूरा नहीं किया है। अगर नियम पूरा नहीं होता तो मोबाइल वॉलेट को बंद कर दिया जाएगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि प्रीपेड वॉलेट ग्राहकों के लिए अनिवार्य अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) अनुपालन की 28 फरवरी की समयसीमा को और नहीं बढ़ाया जाएगा। बैंक ने कहा कि ऐसे ग्राहक जिनके वॉलेट या प्रीपेड भुगतान इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) में कुछ राशि पड़ी है और उन्होंने केवाईसी नियम पूरा नहीं किया है, तो भी उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वॉलेट में रखा मौजूदा बैलेंस बरकरार रहेगा और ग्राहक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
वॉलेट में पड़े पैसे ग्राहक खरीददारी में इस्तेमाल कर सकेंगे। लेकिन पैसे खत्म होने के बाद वो अपने वॉलेट में पैसे डाल नहीं पाएंगे। बता दें कि आरबीआई के डिप्टी डायरेक्टर बीपी कानूनगो ने कहा कि कस्टमर 1 मार्च से बिना केवाईसी के लिए वॉलेट में पैसा नहीं डाल सकेंगे। इसके साथ ही किसी को भी पैसा भेज भी नहीं सकेंगे। केवाईसी के लिए ग्राहकों को वॉलेट खोलकर केवाईसी का ऑइकॉन पर क्लिक करना है। आप अपनी डिटेल्स भर सकते हैं इसमें आप से आपका आधार नंबर मांगा जाएगा। कंपनी अपने प्रतिनिधि को भेजने के लिए आपके घर या ऑफिस का पता और पिनकोड मांगेगी। अगले 2 से 4 दिनों में कंपनी का प्रतिनिधि आपके पते पर आकर डॉक्युमेंट्स का वेरिफिकेशन करेगा। बता दें कि अभी पूरे देश में 9 फीसदी से कम मोबाइल वॉलेट उपभोक्ताओं ने अपने केवाईसी कंपनियों को दिया है। ऐसे में देश में 91 फीसदी से अधिक मोबाइल वॉलेट अकाउंट बिना केवाईसी के चल रहे हैं।