सेना प्रमुख बिपिन रावत बांग्लादेशी नागरिकों की असम में घुसपैठ और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानि AIUDF के तेजी से उभरने को जोड़ कर देख रहें हैं।   एक कार्यक्रम में एआईयूडीएफ की तुलना बीजेपी के करते हुए जनरल रावत ने कहा कि बीजेपी को उभरने में कितने अधिक साल  लग गए जबकि  एआईयूडीएफ का तेजी से उदय हुआ है। रावत इलाके में होने वाली बांग्लादेशी घुसपैठ और जनसांख्यिकी परिवर्तन को समझाने के लिए उदाहरण दे रहे थे। सेना प्रमुख ने  कहा कि उत्तर-पूर्व में बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ के पीछे हमारे पश्चिमी पड़ोसी पाकिस्तान की छद्म नीति ज़िम्मेदार है. और उसे इसके लिए उत्तरी पड़ोसी चीन का साथ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ये दोनों देश चाहते हैं कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र डिस्टर्ब रहे जिस कारण अवैध आबादी भेजी जाती रहेगी।  जिस कार्यक्रम में सेना अध्यक्ष ने ये बयान दिया उसी कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे.

जनरल रावत के बयान ने राजनीतिक रूप ले लिया है। AIUDF के अघ्यक्ष अजमल खान ने मामले की शिकायत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से करने की बात कही है।  उधर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी आर्मी चीफ के बयान पर सवाल उठाए हैं. औवेसी ने ट्वीट किया कि आर्मी चीफ को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है. लोकतंत्र और संविधान इस बात की इजाजत देता है कि सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करेगी. बीजेपी ने कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा अपनी बात रखने में बुराई क्या है? बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि आर्मी चीफ ने समस्या के बारे में जानकारी दी है। इसपर विवाद नहीं होना चाहिए। सेना के सेवा दे चुके मेजर पुनिया तो मानते हैं कि सेना प्रमुख पहले भारतीय हैं।

दरअसल सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पाकिस्सान और चीन को लेकर कई सख्त बयान दिए हैं। जनरल रावत ने कहा कि हम ढाई फ्रंटियर पर युद्ध के लिए हमेशा तैयार हैं। यहां उनका मतलब चीन और पाकिस्तान के साथ कश्मीर के आतंकियों और नकस्लियों से है। हाल ही में सेनाध्यक्ष जनरल रावत ने डोकलाम को विवादित क्षेत्र करार दिया था और कहा था कि भारत को अपना फोकस पाकिस्तान की बजाय चीन की सीमा पर करना चाहिये। जनरल रावत की टिप्पणी से चीन नाराज हो गया था और उसने कहा कि दो देशों के बीच बेहतर संबंध बनाने में ऐसे बयान रचनात्मक नहीं हैं और संबंधों को बेहतर बनाने और सीमा पर शांति बनाए रखने में सहायक नहीं होंगे। वहीं कश्मीर में सेना के आंतकियों के खिलाफ ऑपरेशन में बाधा डालने वाले क्षेत्र के नौजवानों से आतंकियों की तरह ही निपटने के सेना प्रमुख बिपिन रावत के बयान पर कांग्रेस ने एतराज जताया था।

लेकिन इतना तो तय है कि सेना प्रमुख के बयान जवानों में नई उर्जा का संचार करते हैं और दुश्मन देशों को कोई भी गुस्ताखी करने से पहले दोबारा सोचने को मजबूर करते हैं। हालांकि देश के भीतर राजनीतिक दलों पर बयान देना किसी सेना प्रमुख के लिए कितना उचित है ये बड़ा सवाल है।