सेना में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में “लगातार देरी”: संसद में पेश हुई CAG रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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CAG Report: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की (रक्षा सेवाएं – थल सेना) की एक ऑडिट रिपोर्ट संख्या 11 (2024) को मंगलवार (17 दिसंबर 2024) को संसद में प्रस्तुत किया गया। दरअसल, रिपोर्ट में सेना में ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ (सीओआई) की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में ‘लगातार देरी’ पर सवाल उठाए गए हैं।

यह रिपोर्ट 2020-21 में रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत रक्षा विभाग, सेना, सैन्य अभियंता सेवाएं, सीमा सड़क संगठन और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के लेन-देन के ऑडिट परिणामों को शामिल करती है। इसमें कहा गया है कि सेना के तीन कमानों में वित्तीय नुकसान से जुड़े 95 मामलों में से, सीओआई के एकत्र होने और पूरा होने के लिए निर्धारित समयसीमा ‘केवल 46 और 25 मामलों में’ पूरी हुई।

संसद में पेश हुई भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में क्या पता चला?

इस रिपोर्ट (Report of the Comptroller and Auditor General of India on Union Government (Defence Services-Army)) में रिमाउंट और पशु चिकित्सा सेवाओं के कामकाज और पशु परिवहन इकाइयों के उपयोग का भी ऑडिट किया। महानिदेशक रिमाउंट पशु चिकित्सा सेवा (डीजी आरवीएस) की अध्यक्षता में रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी), भारतीय सेना में अश्व और श्वान प्रजनन, पालन, देखभाल, प्रबंधन और रोग नियंत्रण प्रशिक्षण का काम करती है। जांच में यह भी पाया गया कि आरवीसी के लिए निर्धारित छह प्रशिक्षण लक्ष्यों में से तीन पूरे नहीं हुए। चार पशु परिवहन इकाइयों का उपयोग 89.46% से 10.74% तक कम रहा।

ऑडिट में 2018-19 से 2020-21 तक की अवधि को कवर किया गया है जिसमें 13वीं सेना योजना (2017-22) की अवधि शामिल है। ऑडिट में पाया गया कि आरवीएस के लिए 13वीं योजना में क्षमता विकास और आधुनिकीकरण पहलुओं को शामिल नहीं किया गया था।

ऑडिट ‘भारतीय सेना में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’, ‘पूर्वी कमान में पोर्टर कंपनियों की स्थापना’ और ‘मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज द्वारा जल आपूर्ति प्रबंधन’ पर भी था। सीएजी ने कहा, ‘‘भारतीय सेना में सीओआई की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में लगातार देरी हो रही है. तीन सैन्य कमानों (मध्य कमान, पूर्वी कमान और पश्चिमी कमान) में वित्तीय नुकसान से जुड़े 95 मामलों में से सीओआई को एकत्र करने और पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा क्रमशः 46 और 25 मामलों में ही पूरी की गई।’’

इसमें कहा गया कि 11 मामलों में, सीओआई को पूरा करने में लगने वाला समय ‘दो साल से अधिक और यहां तक कि 11 साल तक रहा। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘आग की घटनाओं से संबंधित 10 सीओआई में कमांड मुख्यालय को सीओआई बुलाने के लिए अधिकृत किया गया था लेकिन कमांड मुख्यालय से नीचे के प्राधिकारी द्वारा बुलाने का आदेश जारी किया गया।’’

इसमें बताया गया है कि सीओआई के लिए जांच का दायरा बताने वाले विचारार्थ विषयों (टीओआर) में 29 मामलों में जिम्मेदारी तय करने और दोष व हानि के संबंध में विशेष उल्लेख नहीं है। सीएजी ने कहा, ‘‘इन 29 मामलों में से 28 में संबंधित सेना नियमों, आदेशों, निर्देशों आदि का कोई उल्लेख नहीं था और इन 29 मामलों में से 13 में जान-माल के नुकसान का आकलन करने का कोई उल्लेख नहीं किया गया।’’

बयान में आगे कहा गया है कि 95 मामलों में सीओआई ने 50.76 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान का आकलन किया है। जिसके मुताबिक, ‘‘43 मामलों (अप्रैल 2022) के संबंध में 7.12 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान को नियमित किया गया। हालांकि, 43.64 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान वाले 52 मामलों में, सक्षम वित्तीय प्राधिकारी द्वारा नुकसान को नियमित करने से संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं थी।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘95 में से 57 मामलों में लेखा अधिकारियों यानी रक्षा लेखा नियंत्रकों (सीएसडीए) को हुए नुकसान के ब्योरे की सूचना देने से संबंधित जरूरी दस्तावेज दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं थे. ऑडिट यह पता लगाने में असमर्थ रहा कि सीएसडीए को शुरू में या जांच के बाद नुकसान की सूचना दी गई थी या नहीं.’’ रिपोर्ट में कैंटीन स्टोर्स विभाग द्वारा बैंडविड्थ सेवाओं को समाप्त करने में देरी के कारण अनुचित खर्च को भी चिह्नित किया गया है.

गोदाम निर्माण में देरी: मद्रास में CSD के गोदाम के निर्माण में 441 सप्ताह की देरी हुई, जिसके कारण ₹17.43 करोड़ किराये पर खर्च हुए।

अतिरिक्त खर्च: अनुचित दरें स्वीकार करने के कारण ₹80.72 लाख का अतिरिक्त व्यय हुआ।

पानी की आपूर्ति प्रबंधन: सैन्य इंजीनियरिंग सेवाओं द्वारा पानी के रिसाव और आपूर्ति में कमी से ₹11.53 करोड़ का नुकसान हुआ।

विद्युत शुल्क में अनियमितता: घरेलू और गैर-घरेलू बिजली खपत के लिए अलग मीटर न होने के कारण ₹4.81 करोड़ का अनियमित भुगतान हुआ।

अन्य उल्लंघन: सीसीटीवी प्रणाली की अनुचित खरीद और प्रयोगशालाओं की स्थानांतरण में गलत निर्णयों से लाखों रुपये का नुकसान हुआ।

रिपोर्ट में सड़क चिह्नों में आईआरसी विनिर्देशों का पालन नहीं करने और विभिन्न कोड प्रमुखों के तहत समान प्रकृति के कार्यों को मंजूरी देने के कारण 3.20 करोड़ रुपये के परिहार्य व्यय के मामलों का भी उल्लेख किया गया है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2.78 करोड़ के व्यय को टाला जा सकता था, “कोलकाता में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के यंग साइंटिस्ट लैबोरेटरी – असममित युद्ध तकनीकों (DYSL-AT) की स्थापना के लिए स्थान के अनुचित चयन के कारण इस लैब को एक साल चार महीने के भीतर हैदराबाद स्थानांतरित करना पड़ा। इस अवधि के दौरान कोलकाता में DYSL-AT की स्थापना के लिए दो अलग-अलग स्थानों पर नागरिक कार्यों और किराये पर ₹2.78 करोड़ का व्यय हुआ, जिसे टाला जा सकता था।”

इस रिपोर्ट में सुझाए गए मुद्दे रक्षा सेवाओं के कुशल प्रबंधन के महत्व को रेखांकित करते हैं और समयबद्ध कार्यान्वयन की आवश्यकता को दर्शाते हैं।