हमारा देश भारत चीन की दादागिरि से हर रोज खुलेआम दो चार हो रहा है। ऐसे में मुंबई में अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों के एक समूह ने एक अनूठी पहल की है। गौरतलब है कि देश की सीमा के सटे सिक्किम सेक्टर में पिछले करीब एक महीने से भारत और चीन के बीच सैन्य टकराव सारे समाचार स्रोतों में हेडलाईन के रुप में तो छाए हैं ही, सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है।
ऐसे ही तमाम विवादों को ध्यान में रखते और चीन को करारा जवाब देने की तैयारी मुंबई के शिक्षको के समूह ने कर ली है। उन्होंने अपने छात्रों से चीन में बनी पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी चीजों का बहिष्कार करने को कहा है। अपने तहत मुंबई के 1500 से ज्यादा स्कूलों के आने का दावा करने वाले ‘द मुंबई स्कूल प्रिंसिपल्स असोसिएशन‘ ने छात्रों के बीच देशभक्ति की भावना को बढ़ाने और जागरूकता फैलाने के लिए अपने संदेश भेज रहा है। यह संदेश सोशल मीडिया और तमाम साधनों के जरिए बड़ी ही तेजी से फैल रहा है।
असोसिएशन के सदस्यों का मानना है कि यह सिर्फ एक छोटा सा कदम है जिससे हम सीमा पर तैनात अपने सैनिकों के प्रति समर्थन दिखा सकते हैं। असोसिएशन से जुड़े एक सदस्य का कहना है, ‘छात्रों को उन समस्याओं के बारे में जागरूक होना चाहिए, जिनका सामना देश कर रहा है। छात्रों के उपयोग की अधिकांश चीजें मेड इन चाइना हैं। हम अगर चीन के आर्थिक लाभ को थोड़ा भी नुकसान पहुंचा सकते हैं तो इसका मतलब है कि हम कुछ तो कर रहे हैं।’
असोसिएशन अब एक सर्कुलर प्रिंट करने वाला है जिसे सभी स्कूलों को भेजा जाएगा। शायद इन शिक्षकों को लगता है छात्रों को किताबीं ज्ञान देने के साथ साथ देशभक्ति का भी पाठ देना जरूरी है। बहरहाल, यदि इन शिक्षकों की मुहिम रंग लाई तो इस बात की पूरी संभावना है कि चीन की आर्थिक ताकत के गुब्बारे में इनके छात्र एक छोटी सुई चुभाने कर उसकी हवा निकालने जरुर में कामयाब होंगे।